लखनऊ

'डिप्टी सीएम'बनना चाहते है संजय निषाद तो 'डिप्टी सीएम' केशव प्रसाद मौर्य ने जाहिर कि अपनी मंशा

सुजीत गुप्ता
23 Jun 2021 8:20 AM GMT
डिप्टी सीएमबनना चाहते है संजय निषाद तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने जाहिर कि अपनी मंशा
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डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने आगे कहा कि हम 300 से अधिक सीटें जीतेंगे. भाजपा अपनी तैयारी करती है, सामने कोई भी हो उससे हमें फर्क नहीं पड़ता

लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनजर राजधानी लखनऊ में बीजेपी का बैठकों का दौर शुरू हो गया है और फिर से 2022 में अपनी सरकार बनाने की जुगत में लगी है तो वही अब भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने 2022 में बीजेपी से डिप्टी सीएम की मांग रखी है. इधर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बयान जवाब दे दिया है और कहा कि हमारी निषाद पार्टी से बातचीत जारी है लेकिन राज्य में हमारे जितने भी सहयोगी दल है वो सभी हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी से बातचीत हो रही है लेकिन हमारे लिए सभी सहयोग मित्र दल से बातचीत हो रही है.

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने आगे कहा कि हम 300 से अधिक सीटें जीतेंगे. भाजपा अपनी तैयारी करती है, सामने कोई भी हो उससे हमें फर्क नहीं पड़ता. केशव मौर्य ने इस दौरान संगठन, बीएल संतोष व सरकार की बैठक पर कहा कि सरकार और संगठन मिलकर चुनाव लड़ेंगे. हमारी तैयारियां पूरी हैं. लगातार मंथन चल रहा है. वहीं अखिलेश और प्रियंका गांधी पर उन्होंने कहा कि वह लोग ट्विटर की राजनीति करते हैं. उससे कुछ नहीं होने वाला. हमारी 2022 की तैयारी पूरी है.

बतादें कि संजय निषाद का कहना है कि भाजपा ने हमें एक कैबिनेट पोस्ट और एक राज्यसभा सीट देने का वादा किया था। हमारी मांग है कि आगामी चुनाव में भाजपा की तरफ से मुझे उप मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाए। अगर भाजपा ऐसा करती है इससे चुनाव में फायदा मिलेगा और हमारी सरकार बनेगी। संजय निषाद ने दावा किया कि यूपी की 160 सीटों पर निषाद समुदाय का प्रभाव है। राज्य में निषाद समुदाय के 18 फीसदी वोट हैं।

बता दें कि इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात में संजय निषाद ने केंद्र और राज्य सरकार में एक-एक मंत्री पद की मांग की थी. उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात कर अपनी मांग दोहराई थी. मुलाकात में उन्होंने कहा था कि अगर बीजेपी हमारी मांगों को नहीं मानती तो हम अलग होकर चुनाव लड़ने पर विचार कर सकते हैं.

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