
वैचारिक दृष्टिकोण से कमजोर हुए समाजवादी - शिवपाल यादव

समाजवादी चिंतक जनेश्वर मिश्र की जयंती समाजवादी बौद्धिक सभा द्वारा "जनस्वर" दिवस के रूप में मनाया गया। इस उपलक्ष्य अरूणांचल प्रदेश और मिजोरम छोड़कर सभी राज्यों में "जनतंत्र व जनस्वर" पर परिचर्चाओं का आयोजन हुआ।
लखनऊ में आयोजित परिचर्चा में बोलते हुए वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि जनस्वर की उपेक्षा जनतंत्र कमजोर होता है। समाजवादी चिन्तक जनेश्वर अपने दौर के प्रबल व प्रतिबद्ध जनस्वर थे। उन्होंने हमें सिखाया कि गरीबों व कमजोरों के आंसू पोंछना ही वास्तिविक समाजवाद है। जनेश्वर जी शिविरों और सभाओं में बोलते तो सभी गंभीरतापूर्वक उन्हें सुनते थे। वे छोटी-छोटी घटनाओं व उदाहरणों से समाजवाद के गूढ़ दर्शन को समझा देते थे। मधुलिमये के बाद वे लोहिया द्वारा प्रतिपादित समाजवाद के सबसे बड़े व्याख्याता थे। वे अपने आप में समाजवाद के चलते फिरते विश्वविद्यालय थे। छोटे लोहिया कई बार केन्द्रीय मंत्री व सांसद रहे। पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह व कद्दावर केन्द्रीय मंत्री रहे के.डी. मालवीय जैसे दिग्गजों को चुनाव में हराया लेकिन सत्ता एवं चुनावी राजनीति की विकृतियों से दूर रहे। उनके जाने के बाद समाजवादी शिविरों व प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लगना बंद हो गया। समाजवादी पार्टी वैचारिक रूप से कमजोर हुई है। उनके उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी हम लोगों की है।