लखनऊ

आज शहीद ए आजम भगत सिंह की शहादत का दिन है, लेकिन ....

Shiv Kumar Mishra
23 March 2021 11:46 AM IST
आज शहीद ए आजम भगत सिंह की शहादत का दिन है, लेकिन ....
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सुधान्शु बाजपेयी

आज शहीद ए आजम भगत सिंह की शहादत का दिन है,अंग्रेजों के खिलाफ एक तरफ भगत सिंह,राजगुरु, सुखदेव,आजाद, बिस्मिल, अशफाक का रास्ता था, तो दूसरी तरफ गाँधी, नेहरु, मौलाना आजाद, सुभाष,पटेल का रास्ता था। लेकिन एक मकसद साझा था कि लुटेरे अंग्रेजों(ईस्ट इंडिया कंपनी) को देश से भगाया जाए, आजाद हिन्दोस्तान की नींव रखी जाए।

लेकिन एक तीसरा भी कुनबा था- हिंदू महासभा और आरएसएस का जो इस लूट में अंग्रेजों का सहयोग कर रहा था। लेकिन इस देश की गंगाजमुनी तहजीब और जनता की आजादी की अदम्य आकांक्षा के आगे न ही अंग्रेज सफल हुये, न ही इनके मंसूबे। 15अगस्त 1947को अंग्रेजों को देश छोड़ना पड़ा।

आज 70साल बाद अंग्रेज तो जा चुके थे लेकिन उनके मानसपुत्रों ने बरगलाकर सत्ता हथिया ली, इस बार ईस्ट इंडिया कंपनी नहीं थी लेकिन अंबानी, अडानी, माल्या, मेहुल,मोदी जैसी तमाम कंपनियों की नजर हिन्दोस्तान के प्राकृतिक संसाधनों और जनता की कमाई पर है।

आधे लूट कर जा चुके हैं, बाकियों की लुटाने के लिए सारे दाँवपेंच जारी हैं,अंग्रेजों की ही "बाँटो और राज करो" की नीति पर जनता को बरगलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कह दिया है कि बैंक समेत सभी सरकारी कंपनियाँ बेंचेंगें, पीछे नहीं हटेंगे, मतलब अंग्रेजों की लूट से तबाह देश को 70सालों में जनता की मेहनत और गाढ़ी कमाई से जो कुछ भी बनाया जा सका, चंद कंपनियों के मुनाफे के लिए वह सब बेंच देंगे।

वही नहीं जनता की आजीविका, इस देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती-किसानों को भी संसद में कानून बनाकर नीलाम करने की कोशिश कर रहे हैं । कभी अंग्रेजों ने यही सपना देखा था,तब तो हिन्दोस्तान के किसानों ने अपनी खेती पर नियंत्रण के अंग्रेजों के प्रयास को चंपारण सत्याग्रह द्वारा असफल कर दिया था। आज एक बार फिर हिन्दोस्तान की खेती को नीलाम करने के अंग्रेजों के दलालों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए किसान सड़क पर हैं, बैंक, बीमा,रेलवे के कर्मचारी आंदोलनरत हैं,नौजवानों में आक्रोश है।शोषणकारी श्रमकानूनों के खिलाफ मजदूर भी असहाय हैं।

तब खुद से सवाल कीजिये, आज भगत सिंह होते तो किधर खड़े होते,गाँधी, नेहरू, लोहिया,अंबेडकर होते तो किधर खड़े होते। उनके वारिसों को 'देश बेंचने वालों से ''देश बचाने' के साझा मकसद पर एकसाथ खड़े होने की जरूरत है ।

यही शहीदों को असल श्रद्धांजलि होगी।

लेखक यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता है.

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