लखनऊ

डीजीपी सर शमन शुल्क वसूलने के चक्कर में अपराध पर बेलगाम हो गया उत्तर प्रदेश

Shiv Kumar Mishra
4 Oct 2020 4:51 AM GMT
डीजीपी सर शमन शुल्क वसूलने के चक्कर में अपराध पर बेलगाम हो गया उत्तर प्रदेश
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क्यों बढ़ा यूपी में अपराध ?

उत्तर प्रदेश में चार पहिया वाहन में ड्राइवर के अतिरिक्त दो व्यक्तियों को ही चलने की अनुमति है. यदि परिवार के बच्चे हैं तो दो बच्चों तक अतिरिक्त अनुमति है (सुरक्षा/ स्वच्छता/ स्वास्थ्य/ आकस्मिक सेवाओं को छोड़कर), बाइक सवार व्यक्तियों को अकेले चलने की अनुमति है. लेकिन यदि महिला पीछे बैठी है उसको भी अनुमति होगी लेकिन बाइक सवार समस्त व्यक्तियों को हेलमेट पहनना और सभी को मास्क लगानाअनिवार्य होगा. वहीं थ्री व्हीलर वाहन में ड्राइवर के अतिरिक्त दो व्यक्तियों तक ही चलने की अनुमति है.

इस नियम के तहत उत्तर प्रदेश के सभी जिलों की पुलिस कानून जुर्माना वसूलने लगी. इसमें लगभग अब सौ करोड़ के आसपास शमन शुल्क वसूलने का एक रिकार्ड यूपी पुलिस बनाने जा रही है. लेकिन इस वसूली के चलते पुलिस अपराध से दूर हो गई. इसमें पुलिस के भी कुछ फायदे थे तो पुलिस ने भी इस कानून को लागू करने में पूरी की पूरी मुस्तैदी निभाई. लेकिन अब उत्तर प्रदेश की छवि रेप प्रदेश और अपराध प्रदेश के रूप में देखी जाने लगी.

मानते है कि कोरोना महामारी रोकने में जो भूमिका यूपी पुलिस ने निभाई है वो देश के किसी राज्य की पुलिस ने नहीं निभाई है इसमें महाराष्ट्र पुलिस की भूमिका भी इसी बराबर है. लेकिन इसके साथ साथ अपराध और जांच की सभी पक्रिया धीमी हो गई. हालांकि अपराधियों को मिली जमानत भी इसमें कुछ मदद कर गई. जबकि कुछ बेरोजगार युवक भी इस धंधे में कूद गए जबकि बेंक फ्रॉड की संख्या में भारी इजाफा हुआ. इसके लिए खुद पुलिस ही तो जिम्मेदार मानी जायेगी.

जब भी अपराध और घटनाओ पर बात होती है यो पुलिस महकमें को जिम्मेदार मानकर इतिश्री कर ली जाती है. जबकि इस मामले में सोच कुछ अलग होनी चाहिए . पुलिस को अगर अभी भी खुली छुट मिले तो अपराध पर एक माह में अंकुश लगाना तय है नेताजी किसी की सिफारिस छुड़ाने के लिए करने थाने न जाएँ तो!


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