लखनऊ

पैदल चलते मजदूर, श्रम मंत्री और राजनीति (तीन), सटीक विश्लेष्ण

Shiv Kumar Mishra
19 May 2020 2:50 PM GMT
पैदल चलते मजदूर, श्रम मंत्री और राजनीति (तीन), सटीक विश्लेष्ण
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लेकिन अब उन्हें यूपी में ही नहीं घुसने दिया जा रहा है।स्थानीय प्रशासन का कहना है कि उन्हें ऊपर से कोई सूचना नहीं है। बसों आगे नहीं जा सकती हैं।

संजय कुमार सिंह

प्रवासी मजदूर और राजनीति में कल मैंने लिखा था कि मजदूरों को बसों से उनके गांव भेजने की अनुमति देने की प्रियंका गांधी की अपील पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जो जवाब आया वह प्रस्ताव नहीं मानने और अनुमति नहीं देने जैसा ही था। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि गेंद वापस प्रियंका गांधी के पाले में डाल दी गई थी। प्रियंका गांधी की जगह मैं होता (या उनका सलाहकार भी) तो लिखकर भेज देता कि राजनीति मुझे भी आती है पर अभी नहीं करनी है। रहने दीजिए। मैंने गलत उम्मीद कर ली थी। पर प्रियंका गांधी (और उनकी टीम) हार मानने वाली नहीं लगती है। (इसपर आपकी राय मुझसे अलग हो सकती है)। सुबह खबर थी कि प्रियंका ने सूची मुहैया करा दी। यह उन भक्तों और ट्रोल के मुंह पर तमाचा था जो कह रहे थे कि प्रियंका गांधी फंस गईं।

यह दिलचस्प है। महीने भर हो गए मजदूर सड़क पर हैं, वेतन नहीं मिल रहा है, नौकरी चली गई, श्रम, श्रमिक सब की चर्चा है पर किसी ने भारत के श्रम मंत्री का नाम सुना? यह सवाल शेखर गुप्ता ने ट्वीटर पर उठाया है। लेकिन लोग परेशान हैं प्रियंका गांधी फंस गई। इसलिए नहीं कि उत्तर प्रदेश सरकार अपनी बसों का क्या अचार डालेगी जो कोटा गई थीं? प्रियंका गांधी के सचिव ने 18 मई के अपने पत्र में लिखा, आज प्राप्त पत्र में आपने बसों का विवरण मांगा है। 1000 बसों की सूची इस ईमेल के साथ है। चालकों का वेरीफिकेशन कर उसकी सूची भी कुछ घंटों में आप तक पहुंचाई जाएगी। इसके बाद एक पत्र देर रात लिखा गया। इससे पता चलता है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 1000 बसें सुबह 10 बजे लखनऊ में हैंडओवर करने की मांग की थी। इस पत्र में लिखा गया था आपकी यह मांग राजनीति से प्रेरित लगती है।

इस पत्र में मांग की गई है कि बसें नोएडा और गाजियाबाद सीमा पर खड़ी हैं उन्हें चलने की अनुमति दें। उत्तर प्रदेश सरकार की मांग (या शर्तें) अगर जायज हैं तो कांग्रेस (प्रियंका गांधी) के एतराज को निराधार नहीं कहा जा सकता है। इस संबंध में कांग्रेस का एक ट्वीट आज दोपहर बाद 3.08 का हो जो कांग्रेस का पक्ष बताता है। भाजपा की तरफ से (कांग्रेस विरोधी और स्वतंत्र पत्रकारों द्वारा भी) दनादन ट्वीट हो रहे हैं कि कांग्रेस की सूची में ऑटो और एम्बुलेंस के भी नंबर है। मुद्दा यह है कि 1000 बसों की जगह 900 बसें और 90 छोटी गाड़ियां हों तो क्या 900 बसें नहीं ली जानी चाहिए? क्या ऑटो और एम्बुलेंस से लोगों को नोयडा, गाजियाबाद दादारी नहीं छोड़ा जा सकता है। क्या मजदूर मना करें देंगे? या उनकी तकलीफ बढ़ जाएगी?

MediaVigil की खबर के अनुसार, योगी सरकार सांप-सीढ़ी का खेल खेलने में जुट गयी है। कल रात यूपी सरकार ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव को पत्र लिखकर सभी एक हजार बसों के फिटनेस सार्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और परिचालकों का विवरण लेकर सुबह दस बजे लखनऊ पहुंचने को कहा था। आज जब कांग्रेस कार्यकर्ता लखनऊ जाने के लिए बसों के साथ आगरा के पास यूपी बॉर्डर ऊंचा नगला पहुंचे तो उनसे कहा जा रहा है कि वो बसों को गाजियाबाद और नोएडा लेकर जाएं। लेकिन अब उन्हें यूपी में ही नहीं घुसने दिया जा रहा है।स्थानीय प्रशासन का कहना है कि उन्हें ऊपर से कोई सूचना नहीं है। बसों आगे नहीं जा सकती हैं।

वहीं कांग्रेस नेताओं का कहना है कि "एक तरफ मुख्य सचिव का 'फरमान" हैं कि बसों को गाजियाबाद, नोएडा ले आओ, दूसरी तरफ अब हमें उत्तर प्रदेश में घुसने से मना किया जा रहा है। इस पूरे घटनाक्रम के बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि "आपका पत्र अभी दिनांक 19 मई को 11.05 बजे मिला। इस संदर्भ में बताना चाहता हूं कि हमारी कुछ बसें राजस्थान से आ रही हैं और कुछ दिल्ली से, इनके लिए दोबारा परमिट दिलवाऩे की कार्यवाही जारी है। बसों की संख्या अधिक होने के नाते इसमें कुछ घंटे लगेंगे। आपके आग्रहानुसार यह बसें गाजियाबाद और नोएडा बॉर्डर पर शाम 5 बजे पहुंच जाएंगी। आपसे आग्रह है कि 5 बजे तक आप भी यात्रियों की लिस्ट और रूट मैप तैयार रखेंगे ताकि इनके संचालन में हमे कोई आपत्ति न आए।"

संदीप सिंह ने लिखा कि "यह एक ऐतिहासिक कदम होगा, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार और कांग्रेस पार्टी, मानवीयता के आधार पर, सब राजनीतिक परहेजों को दूर करते हुए, एक दूसरे के साथ सकारात्मक सेवा भाव से जनता की सहायता करने जा रहे हैं। इसके लिए कांग्रेस पार्टी की ओर से आपको साधुवाद। बसें जाएंगी कि नहीं और कितने लोगों को लेकर कितनी बसें जाएंगी ये तो पांच बजे के बाद पता चलेगा लेकिन राजनीति जारी है। एक मित्र इसे कांग्रेस की ओर से तैयारी नहीं होने के रूप में देखते हैं जबकि मुझे लगता है कि प्रियंका गांधी को यह कैसे पता चलता कि उत्तर प्रदेश सरकार अनुमति नहीं देगी, या ऐसी शर्तें लगाएगी या 1000 बसें एक साथ चलानी होंगी आदि। कुछ लोग यह भी कह रहे कि प्रियंका गांधी को राजस्थान या महाराष्ट्र में बस चलाना चाहिए उत्तर प्रदेश को छोड़ देना चाहिए। पर मेरा मानना है कि दोनों राज्यों में सरकारें हैं और जिन्हें उनका विरोध करना है उन्हें वहां जाना चाहिए। प्रियंका गांधी कहां राजनीति करेंगे ये तो उन्हें तय करने का हक है।

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