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घोसी विधानसभा उपचुनाव: INDIA की NDA से पहली टक्कर की शुरुआत, राजभर का होगा भविष्य का पर्दाफास, शिवपाल ने चला ये दांव

Shiv Kumar Mishra
28 Aug 2023 11:28 AM IST
घोसी विधानसभा उपचुनाव: INDIA की NDA से पहली टक्कर की शुरुआत, राजभर का होगा भविष्य का पर्दाफास, शिवपाल ने चला ये दांव
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उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा उपचुनाव में समाजवादीपार्टी और बीजेपी ने पूरी ताक़त लगा दी है. जहां 29 अगस्त को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव घोसी में चुनावी रैली कर सपा के लिए वोट माँगेंगे तो वहीं 2 सितंबर को यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ भी घोसी में चुनाव प्रचार कर सकते हैं और बीजेपी प्रत्याशी के लिए वोट माँगेंगे. घोसी में 5 सितंबर को मतदान और 8 सितंबर को मतगणना है. BJP ने दारा सिंह चौहान और SP ने सुधाकर सिंह को प्रत्याशी बनाया है. इस चुनाव में ओमप्रकाश राजभर की राजनैतिक परीक्षा भी है। इस चुनाव परिणाम से उनका भविष्य तय होगा।

घोसी उपचुनाव इंडिया गठबंधन का भी इम्तिहान

मऊ जिले में आने वाली यह सीट कभी कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. कल्पनाथ राय की कर्मभूमि रही है। मऊ जिला भी उनके ही प्रयासों से बना था। विशेष परिस्थितियों में हो रहे इस चुनाव में वही दारा सिंह चौहान भाजपा के प्रत्याशी हैं, जो इसी सीट से सपा के विधायक थे। वर्ष 2022 के चुनाव में दारा सिंह चौहान सपा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में थे और भाजपा प्रत्याशी विजय राजभर को 22216 मतों से हरा दिया था। विजय राजभर 2019 में हुए उप चुनाव में भाजपा के विधायक चुने गए थे। दारा सिंह चौहान सपा से इस्तीफा देकर उप चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी हैं तो सपा प्रत्याशी के रूप में सुधाकर सिंह उनके सामने हैं।

सुधाकर 2012 में इसी सीट से सपा के विधायक चुने गए थे। उस समय उन्होंने बसपा प्रत्याशी भागू चौहान को हराया था। फिर वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में भागू चौहान विधायक चुने गए। उन्होंने बसपा के अब्बास अंसारी को हराया था और उस समय सपा प्रत्याशी के रूप में सुधाकर सिंह तीसरे स्थान पर चले गए थे। भाजपा विधायक भागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बना दिए जाने के बाद वर्ष 2019 में उप चुनाव हुआ, जिसमें भाजपा के विजय राजभर विधायक चुने गए थे। इस उप चुनाव में सुधाकर सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दूसरे नंबर पर थे।

कांग्रेस ने ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा होने के नाम पर सपा प्रत्याशी को समर्थन देकर लोकसभा चुनाव से पहले ही बड़े दंगल का अखाड़ा तैयार कर दिया। सपा प्रत्याशी के साथ पूर्व सहयोगी के तौर पर राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और अपना दल (कमेरावादी) पहले से है। सपा की स्थिति में बस एक बदलाव यह आया है कि इस बार सुभासपा उसके विरोध में है और भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में ताल ठोंक रही है। इस तरह यह उप चुनाव उसकी ताकत का भी इम्तहान है।

शिवपाल यादव की मौजूदगी

घोसी में होने वाला उप चुनाव बड़ा रोचक होता जा रहा है। समाजवादी के मुखिया अखिलेश यादव की सभा प्रस्तावित है लेकिन समाजवादी पार्टी के संगठन को खड़ा करने वाले शिवपाल यादव की क्षेत्र में सक्रियता को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता। अखिलेश यादव पर अक्सर आरोप लगते रहते हैं की उनके सलाहकार उन्हें ज़मीनी हक़ीक़त का भान नहीं होने देते लेकिन शिवपाल यादव के काम करने का तरीक़ा अलग है । लड़ाई सपा बनाम भाजपा है। सपा प्रत्याशी भी मज़बूत हैं। बीजेपी ने अपने नेताओ की पूरी फ़ौज उतार रखी है लेकिन ये कहना ग़लत नहीं होगा की सत्ता पक्ष के नेता महज़ दिखावे तक सीमित हैं पर शिवपाल यादव की मौजूदगी का बड़ा असर दिखाई दे रहा हैं।

जीत हार का अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल है क्योंकि शिवपाल सिंह यादव एक बार जिससे भी मिलते हैं उन्हें अपना मुरीद बना लेते हैं । मैं आपको हाल की ही एक घटना बता रहा हूँ । कुछ दिनों पहले ही शिवपाल यादव ने अपने निजी सचिव को छुड़ाने आधी रात को थाने पहुँच गये थे। इसके बाद जो जो लोग उस मौक़े पर शिवपाल के साथ खड़े हुए दो दिन बाद उन्होंने सबको व्यक्तिगत तौर पर फ़ोन करके उनका आभार जताया था। घोसी विधानसभा चुनाव में ज़मीन पर शिवपाल यादव की मौजूदगी भी अपना अलग असर डाल रही है । जो कार्यकर्ता सपा में अनदेखी और उपेक्षा की वजह से अलग हुए थे वो भी शिवपाल के ज़मीन पर उतरने के बाद तेजी के साथ चुनाव प्रबंधन में जुट रहें हैं।कुल मिलाकर कभी सपा के संकटमोचन कहे जाने वाले शिवपाल यादव की सक्रियता ने इस चुनाव को और भी रोचक बना दिया है।

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