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मुजफ्फरनगर दंगा मामले में बड़ा खुलासा, 41 में से 40 मामलों में आरोपी हुए बरी, पुलिस ने सबूतों के साथ किया 'खेल'
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में साल 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के सिलसिले में बीते दो सालों में चले हत्या के 10 मुकदमों में अदालतों ने सभी आरोपियों को छोड़ दिया है। अखिलेश के कार्यकाल की पुलिस और योगी के कार्यकाल की पुलिस की रणनीति में कोई फ़र्क़ नही रहा दोनों ही सरकारों की पुलिस का रवैया एक जैसा रहा यही वजह रही कि दंगों के गुनहगार ढुलमुल रवैये के चलते छूट गए है। अब सवाल ये उठता है कि 65 या उससे अधिक लोगों की गई जानो का कौन ज़िम्मेदार है ?
2017 के बाद से मुजफ्फरनगर कोर्ट 41 मामलों पर फैसले सुना चुकी है और सिर्फ एक ही मामले में सजा दी गयी।जिन दंगों की पीठ पर सवार होकर मोदी भाजपा उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत से सरकार में आई थी सपा कंपनी की मिलीभगत से उसके आरोपी बरी हो गए है। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। इस खुलासे के बाद एक बार फिर यूपी पुलिस सवालों के घेरे में है। दरअसल, साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के सिलसिले में बीते दो सालों में चले हत्या के 10 मुकदमों में अदालतों ने सभी आरोपियों को छोड़ दिया है। मुजफ्फरनगर दंगों में पुलिस ने अहम गवाहों के बयान दर्ज नहीं किए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि हत्या में इस्तेमाल हथियारों को पुलिस ने कोर्ट में पेश नहीं किया।
रिपोर्ट के मुताबिक, 41 मामलों में फैसला सुनाया गया। इनमें से हत्या के सिर्फ एक मामले में सजा हुई। मुस्लिमों पर हमले के बाकी सभी मामलों में आरोपी बरी हो गए।रिपोर्ट के अनुसार, अभियोजन पक्ष के पांच गवाह कोर्ट में गवाही देने से इसलिए मुकर गए कि अपने संबंधियों की हत्या के वक्त मौके पर मौजूद नहीं थे। वहीं 6 अन्य गवाहों ने कोर्ट में कहा कि पुलिस ने जबरन खाली कागजों पर उनके हस्ताक्षर लिए है। 5 मामलों में हत्या में इस्तेमाल हुए हथियार को पुलिस ने कोर्ट में पेश ही नहीं कर पाई। साल 2017 के बाद दंगों से जुड़े 41 मामलों में मुजफ्फरनगर की स्थानीय कोर्ट ने फैसला सुनाया है। इन 40 मामलों में आरोपी छूट गए हैं। सिर्फ एक मामले में सजा का एलान हुआ है।
बता दें कि जिन 40 मामलों में जो आरोपी छूटे हैं उनके ऊपर मुस्लिम समुदाय पर हमले करने के आरोप थे।सरकारी वकील के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट गवाहों के बयानों पर आधारित थी और गवाह अदालत के सामने अपने बयानों से मुकर गए, इसलिए राज्य की योगी सरकार रिहा हुए आरोपियों के संबंध में कोई अपील नहीं करेगी।गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान 65 लोग मारे गए थे। इसके खिलाफ सभी मुकदमों को मुसलमानो के सबसे बड़े हमदर्द होने का ढोंग रचने वाले यादव परिवार की पूर्व अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में दायर किया गया था। इनकी जांच भी मुसलमानो के मामू समझे जाने वाली अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई थी। हालांकि इनकी सुनवाई वर्तमान योगी सरकार के कार्यकाल में चल रही थी। जिसमें सभी को बरी किया गया है।