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रिश्ता मेरा जन्मों का अमृत की धार से, आस्था के सेलाब में नहाई धर्म नगरी

रिश्ता मेरा जन्मों का अमृत की धार से, आस्था के सेलाब में नहाई धर्म नगरी
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हर गंगे का उच्चारण बोल गंगा में मारी डुबकी, किया पापों का अंत और मग्न हुए प्रभु की शरण में जाकर

प्राचीन तीर्थ व भागवत उदगम स्थल शुक्रताल में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आस्था का सेलाब उमड़ आया है. क्षेत्र व दूर दराज़ से आये लाखोँ श्रद्धालु पवित्र भगीरथी में स्नान कर धर्म लाभ उठा रहे हेँ. भेँसा बोगी ट्रेक्टर ट्राली व अन्य वाहनों से पहुँच रही भारी भीड़ ने शुक्रताल को आस्था के रँग में रँग दिया है.


गंगा घाट पर लाखों श्रद्धालु माँ गंगा के आँचल में डुबकी लगाने को आतुर हैँ. वहीँ छोटे छोटे तम्बुओं में आबाद ग्रामीण अँचल के लोग रागिनी व लोक सँगीत का आनन्द ले रहे हैँ. बदलते युग के साथ भले ही मेले का स्वारूप बदल गया हो किन्तु जन मानस की आस्था और श्रद्धा में कोई कमी नहीं आयी है.


प्राचीन शुकदेव आश्रम, दंडी आश्रम, हनुमंतधाम, गणेश धाम, तिलक धारी आश्रम, शिव धाम, माता पीताम्बरा धाम, गायत्री धाम, महेश्वरआश्रम, महाशक्ति सिद्ध पीठ, शनिधाम, गोडिय मठ, अर्द्धनारीश्वर धाम आदि सहित दर्जनों आश्रमों धर्मशालाओं में श्रद्धालुओ की भारी भीड़ प्रसाद का चढ़ा रही है.


सच्ची श्रद्धा से तन को भिगोने आये अनुयायियों पर माँ गंगा अपनी कृपा कर मन को धोने की भी शक्ति प्रदान करेगी. सहस्रों वर्षोँ से अपनी विरल अमृत धारा से जन मानस को अमृतपान करा पूर्वजोँ के मोक्ष के साथ सभी का कल्याण करने वाली जीवनदायी मोक्षदायिनी भगीरथी के प्रति श्रद्धा के साथ उसकी सफ़ाई का ख्याल रखकर हम भी अपने दायित्व का निर्वाह करें, जिससे माँ गंगा का आशीर्वाद और कृपा सदा हमें प्राप्त होती रहे.

रिपोर्ट डॉ, गयूर अली

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