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जांच एजेंसियों की लापरवाही ऐसी थी कि जब नोएडा पुलिस को L- 32 की छत से फिंगर प्रिंट उठाए तब पुलिस को करीब पन्द्रह लोगों के फिंगर प्रिंट मिले जो छत पर हेमराज का शव देखने गई भीड़ के थे। अगर नोएडा पुलिस ने L 32 के छत की घेराबंदी कर ली होती तो शायद आज कातिल सलाखों के पीछे होता। आखिर क्यों नोएडा पुलिस से लेकर सीबीआई की दो-दो टीमें उस शातिर कातिल तक नहीं पहुंच सकीं। तो सुनिए आरुषि हेमराज के कत्ल में उस कातिल ने दो दरवाजों का इस्तेमाल किया था और उन्ही दोनों दरवाजों के पीछे दो दो डेडबॉडीज पड़ी हुई थीं।
पहला दरवाजा वो जिसके पीछे आरुषि का शव मिला और दूसरा दरवाजा वो जिसके पीछे हेमराज का शव मिला। पहले दरवाजे तक तो पुलिस कत्ल के कुछ ही घंटे बाद पहुंच गई। दावा किया गया सबूतों को उठाने का और कातिल के गिरेबान तक जल्द से जल्द पहुंचने का लेकिन दूसरे दरवाजे के पीछे किसी की नजर नहीं पड़ी।
हर कोई आरुषि की हत्या से सन्न था। इसी बीच क्राइम सीन पर पहुंचे यूपी पुलिस के रिटायर्ड डीएसपी के के गौतम। के के गौतम के पहुंचते ही आरुषि मर्डर केस में नया मोड़ आ गया। के के गौतम को फ्लैट नंबर L32 के ठीक सामने से होकर जाने वाली सीढ़ियों पर खून के निशान दिखे और वो छत पर पहुंचे लेकिन जैसे ही छत का दरवाजा खुला के के गौतम की आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि जिस नौकर को पुलिस कातिल मान रही थी, उसका शव आरुषि के शव से कुछ ही कदमों की दूरी पर पड़ा हुआ था।
के के गौतम ने आनन फानन में नोएडा के एसपी सिटी को फोन किया और पूरी घटना के बारे में बताया, तुरंत ही नोएडा पुलिस की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई लेकिन सबूतों के लिहाज से पुलिस को वहां से कुछ खास हासिल नहीं हुआ, क्योंकि मई की उमस भरी गर्मी की वजह से हेमराज के शव को भी पहचानना मुश्किल हो रहा था।
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