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सुरेंद्र नागर के बीजेपी में आने से डाक्टर महेश होंगे कमजोर, जानिए क्यों?
राजकुमार
नोएडा। भारतीय जनता पार्टी की धुरी और गौतमबुद्धनगर के सांसद डाक्टर महेश शर्मा के राजनीतिक सितारे इन दिनों गर्दिश में है। सुरेंद्र नागर के भाजपा में शामिल होने के बाद डाक्टर महेश शर्मा के राजनीतिक विरोधी सक्रिय होते दिख रहे है। राजनीतिक हलकों में कयास लगाए जा रहे है कि सुरेंद्र नागर के भाजपाई बनने के बाद डाक्टर शर्मा राजनीतिक रूप से कमजोर होंगे। हालांकि राजनीति में कौन कब किसके साथ हो जाए इस बात का अंदाजा लगा पाना किसी के लिए भी कठिन होगा।
इतिहास गवाह है कि प्रोफेशनल शहर नोएडा में पार्टी को स्थापित कराने में डाक्टर महेश शर्मा का योगदान किसी से छुपा नहीं है। पिछले दो दशकों से भाजपा के लिए सांसद डाक्टर महेश शर्मा हर संभव प्रयास करते रहे है। एक दौर था जब नवाब सिंह नागर और अशोक प्रधान की जोडी भाजपा की धुरी मानी जाती थी। लेकिन यदि डाक्टर महेश शर्मा का खेमा उस समय भी कमजोर नहीं थे। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से डाक्टर महेश शर्मा की जुगलबंदी की दास्तान उनके अस्तपाल की दीवारों पर लगी तस्वीरें खुद ब खुद ब्यां करती है।
2009 में खुर्जा लोकसभा सीट के गौतमबूद्धनगर होने के बाद इस सीट पर पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने डाक्टर महेश शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा था। उस चुनाव में हुए जबरदस्त मुकाबले में बसपा के सुरेंद्र नागर ने डाक्टर महेश शर्मा को मात दी। वे यहां से पहले सांसद बनें। लोकसभा चुनाव हारने के बाद डाक्टर महेश शर्मा ने दादरी से अलग हुई नोएडा विधानसभा सीट से चुनाव लडा। वे बंपर मतो से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। मोदी लहर में हुए लोकसभा चुनावों में डाक्टर महेश शर्मा गौतमबुद्धनगर से पहली मर्तबा सांसद बनें। वे इस बार बडे मार्जन के साथ दूसरी बार लोकसभा में गौतमबुद्धनगर का प्रतिनिधित्व कर रहे है।
राजनीति की हवा इन दिनें पूरे देश में बदली हुई है। सुरेंद्र नागर राज्यसभा सांसद होने के बावजूद समाजवादी पार्टी को छोड भाजपा में आ चुके है। उन्होने हाल ही में भाजपा से राज्यसभा का पर्चा भर दिया है। इसमें कोई शक या शुबा नहीं है कि वे सांसद नहीं बनेंगे। श्री नागर के भाजपाई होने के बाद पार्टी को कोई नुकसान नहीं है। खास बात ये है कि सुरेंद्र नागर को राजनीतिक तौर पर गौतमबुद्धनगर के सांसद डाक्टर महेश शर्मा का धुर विरोधी माना जाता है। जो नेता डाक्टर महेश शर्मा से दूरी बनाए रखना चाहते है कि उन्हें सुरेंद्र नागर के भाजपा में शामिल होने के बाद एक नया ठिकाना मिल गया है। लाजमी है कि आने वाले दिनो में क्षेत्र में सुरेंद्र नागर की सक्रियता राजनीतिक तौर तेज होनी तय है। यदि ऐसा हुआ तो क्षेत्रीय सांसद डाक्टर महेश शर्मा राजनीतिक तौर पर कुछ कमजोर हो सकते है।
इस सवाल पर राजनीतिक विलशेषकों का अलग अलग मत है। कुछ का मानना है कि राजनीति में फायदा लेने की मंशा रखने वालों को किसी नेता से कोई लेना देना नहीं होता। वे अपना काम निकालने के बाद किसी भी नेता को ठेंगे पर रखते है। शायद ऐसा डाक्टर महेश के साथ ही नहीं बल्कि सुरेंद्र नागर के साथ भी होगा। सुरेंद्र नागर के से पहले भाजपाई हो चुके कई नेता उनके करीबी रहे है। चर्चा है कि सुरेंद्र नागर के भाजपा में आने से वे असहज महसूस कर रहे है।