नोएडा

आत्मदाह से इंसाफ की गुहार, जानिए क्या है मामला?

सुजीत गुप्ता
24 Jan 2022 6:48 AM GMT
आत्मदाह से इंसाफ की गुहार, जानिए क्या है मामला?
x

नोएडा-सुनते हैं कि जहांगीर ने अपने महल के बाहर एक घंटा लटकवाया था।वह इंसाफ की गुहार लगाने के काम आता था।मुगल जमींदोज हो गये, अंग्रेज अपने वतन लौट गए। जनता का जनतंत्र आ गया। परंतु घंटा अभी भी टंगा है। न्याय सुलभ नहीं हो पाया। न्याय अभी भी दूर की कौड़ी है। न्याय मांगने से नहीं मिलता। न्याय के लिए आत्मदाह का कठोर निर्णय लेना पड़ता है।आग की लपटें जब अंतरात्मा से निकल कर देह को भस्म करने लगती हैं तो न्याय की आंखें खुलती हैं। अफसर हाथ में कलम और कॉपी लेकर अन्यायी को ढूंढने निकल पड़ते हैं।

बलिया (उत्तरप्रदेश) से रोजी-रोटी कमाने नोएडा आया राजभर रात-भर जागकर पहरा देता था। कंपनी ने उसे नौकरी से निकाल दिया।वह अपने बकाया वेतन के लिए रोजाना कंपनी के दरवाजे पर खड़ा रहने लगा। वेतन नहीं मिला तो वह देश के सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंच गया। वहां वह इंसाफ की गुहार लगाने के लिए घंटा बजाना चाहता था। सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर खड़ी पुलिस ने उसे नोएडा के अधिकारियों के दरवाजों पर लगे घंटे बजाने की सलाह दी।वह निराश था। उसने खुद को आग लगा ली। फिर क्या हुआ? फिर नोएडा के अधिकारियों के जंग खाए घंटे खुद-ब-खुद बजने लगे।

कंपनी संचालकों को सूली पर लटकाने के संकल्प दोहराए जाने लगे।राजभर को तलाशा जाने लगा। क्या उसे न्याय मिलेगा? एक राजभर को न्याय मिलने से न्याय की आकांक्षा कैसे पूरी हो सकती है।हर कंपनी के दरवाजे पर गार्ड बनकर खड़ा राजभर आठ घंटे की तनख्वाह में बारह घंटे की ड्यूटी दे रहा है।उन दरवाजों से प्रवेश कर कंपनी मालिकों के चरणों में जा बैठने वाले श्रम विभाग के अधिकारियों के कानों के दरवाजे पर किसी घंटे की आवाज नहीं पहुंच पाती।

सुजीत गुप्ता

सुजीत गुप्ता

    Next Story