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अफगानिस्तान में तालिबान , नुकसान में हमारा हिंदुस्तान !

अभी हाल ही में जिस तरह से अफगानिस्तान में बदलाव हुआ और अमेरिका ने हाथ खींच लिए वहां तालिबान की क्रूर और निरंकुश सत्ता के हाथ अफगानिस्तान की बागडोर आ गयी है ।वर्तमान अफगानिस्तान अब पूरे विश्व समाज के लिए एक नया सिरदर्द बनेगा ।
भारत को भी बहुत कायदे से अपनी विदेश नीति अफगानिस्तान के मामलों पर बदलनी होगी । एक तरफ चीन दूसरी तरफ पाकिस्तान दोनों ही भारत के परंपरागत शत्रु और तालिबान वह है जिसका कोई भरोसा नहीं क्योंकि उसे खुद नहीं पता वह कहेगा क्या और करेगा क्या ? क्योंकि वहां सत्ता बंदूक से चलेगी जनमत से नहीं ।
हमारे देश की सरकार को बहुत ही सावधानी से फैसले लेने होंगे तभी हमारा अफगानिस्तान में निवेश बचेगा और अन्य मामलों भी दुश्मनो के साथ नई रणनीति पर काम करना होगा । तालिबान की कमान अप्रत्यक्ष रूप से ISI के हाथ मे होगी ऐसी सम्भावना लग रही है । देश को एकसाथ खड़े होने की आवश्यकता है ।
अभी तक हम पाकिस्तान और चीन से लड़ रहे थे लेकिन अब दुर्दांत मूर्ख तालिबानी भी उनके ही दिशा निर्देशों में चलने बाले हैं ऐसे में हमें और भी सतर्क रहना होगा ।
नमस्ते ट्रम्प और Howdy Modi जैसे कार्यक्रमो से हमारी सतत विदेश नीति में ह्रास हुआ है जिसका परिणाम ही बाइडेन का भारत के प्रति नकारात्मक रुख है । हमें अन्य देशों (खासकर अमेरिका जैसे शक्ति सम्पन्न देश ) के आंतरिक चुनाव में दखल नहीं देना चाहिए था यह गलती हुई है मोदी जी से , क्योंकि उन्होंने अपनी इमेज के चक्कर मे विदेश नीति को ही ताक पर रख दिया जिसके परिणाम अब परिलक्षित हो रहे हैं ।
देश की जनता के हितों को ध्यान में रखकर ही विदेश नीति पर काम किया जाना चाहिए जो कि मोदी सरकार में नहीं किया गया । गंभीरता और सूझबूझ से ही आगे बढ़ने की आवश्यकता है । हमारे सैनिक अजेय वीर योद्धा हैं और राष्ट्र भक्ति के जज्बे से लबरेज हैं यही कारण है कि चीन अत्याधुनिक हथियार होने के बाबजूद हमसे सीधे नहीं उलझता है । उसको हमारे सैनिकों का मनोबल पता है कि 1 -1 भारतीय सैनिक अकेले उनकी 1 बटालियन को निपटा सकता है । चीन की जनता भी कहती है Indian Army is Very Strong . ये हमारे लिए गर्व की बात है ।
जय हिंद
नवीन दुबे-एडवोकेट प्रदेश प्रवक्ता प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया