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जनता को बिजली के 'झटके' पर विपक्ष का करारा तंज
लखनऊ। उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा राज्य में बिजली शुल्क की दरें बढ़ाये जाने के बाद से विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर सवाल करना शरु कर दिये है। और यूपी सरकार के इस फैसले को विपक्ष ने जनविरोधी करार दिया है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को ट्वीट किया 'पहले महंगे पेट्रोल—डीजल का बोझ और अब महंगी बिजली की मार : उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार आम जनता की जेब काटने में लगी है! क्यों?' उन्होंने कहा 'खजाने को खाली करके भाजपा सरकार अब वसूली, जनता पर महंगाई का चाबुक चला रही है। कैसी सरकार है ये?'
कांग्रेस महासचिव ने सवाल किया, "खजाने को खाली करके भाजपा सरकार अब वसूली, जनता पर महँगाई का चाबुक चलाकर कर रही है। कैसी सरकार है ये?"
अखिलेश यादव ने ट्वीट कहा की "एक तरफ़ घटती आय व माँग और बढ़ती लागत की वजह से देश की उत्पादकता दर लगातार नीचे जा रही है; वहीं प्रदेश में बिजली की दरें ऊपर जा रही हैं. कारोबारी व जनता सब त्रस्त हैं. उप्र में निवेश की घोषणाएँ भी थोथी साबित हो रही हैं क्योंकि इनके लिए कोई भी बैंक पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं है"
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर कहा कि "उत्तर प्रदेश बीजेपी सरकार द्वारा बिजली की दरों को बढ़ाने को मंजूरी देना पूरी तरह से जनविरोधी फैसला है। इससे प्रदेश की करोड़ों खासकर मेहनतकश जनता पर महंगाई का और ज्यादा बोझ बढे़गा व उनका जीवन और भी अधिक त्रस्त व कष्टदायी होगा। सरकार इसपर तुरन्त पुनर्विचार करे तो यह बेहतर होगा"
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने आरोप लगाया कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बिजली कंपनियों को फायदा पहुँचाने और मंत्रियों, विधायकों और सरकारी विभागों से करोड़ों रुपये का बकाया न वसूल पाने की वजह से बिजली की दरों में भारी इजाफा किया है। उन्होंने कहा कि बिजली विभाग में करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार है। इसके अलावा उसकी गलत नीतियों के कारण योगी सरकार साल- दो साल पर बिजली की दरों में भारी इजाफा कर आम जनता पर महंगाई के इस भयानक दौर में आर्थिक बोझ बढ़ा रही है, यह जनता के साथ विश्वासघात है। सिंह ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार का हवाला देते हुये कहा कि दिल्ली में पिछले पांच वर्षों में बिजली की दरों में एक भी रुपया नहीं बढ़ाया गया है। इसके बावजूद सरकार का राजस्व बढ़ा है।
उत्तर प्रदेश में आने वाले दिनों में बिजली मंहगी हो सकती है। विद्युत नियामक आयोग ने खर्च में बढोतरी और राजस्व में कमी को पूरा करने के मकसद से मंगलवार को बिजली की दरें 11 . 69 प्रतिशत तक बढाने का प्रस्ताव किया। बिजली के नए टैरिफ में घरेलू, ग्रामीण, व्यावसायिक और इंडस्ट्री सभी तरह के उपभोक्ताओं की दरों में बढ़ोतरी की गई है। नई दरों से सबसे ज्यादा प्रभावित घरेलू उपभोक्ता हो रहे हैं. इससे पहले बिजली कंपनियों की तरफ से दिए गए प्रस्ताव में शहरी घरेलू उपभोक्ताओं की 0-150 यूनिट की स्लैब की बिजली दर 6.20 रुपए प्रति यूनिट करने का प्रस्ताव दिया गया था।
इसके अलावा, शहरी घरेलू उपभोक्ताओं जिनकी खपत 500 यूनिट से ज्यादा है उनकी बिजली 1 रुपए प्रति यूनिट बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया था. फिलहाल 500 यूनिट के लिए बिजली उपभोक्ताओं को 6.50 रुपए प्रति यूनिट देना पड़ता है, अब उपभोक्ताओं को बढ़ी दरों पर भुगतान करना होगा।