उत्तर प्रदेश

ताजमहल में भगवा और धर्मदंड के साथ मिले प्रवेश की अनुमति, जगतगुरु परमहंस ने HC में दाखिल की याचिका

Sakshi
12 May 2022 6:49 AM GMT
ताजमहल में भगवा और धर्मदंड के साथ मिले प्रवेश की अनुमति, जगतगुरु परमहंस ने HC में दाखिल की याचिका
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ताजमहल में धर्मदंड लेकर जगतगुरु परमहंस आचार्य धर्मेंद्र गोस्वामी को प्रवेश करने से रोकना ऐतिहासिक घटना में साबित हो सकता है।

ताजमहल में धर्मदंड लेकर जगतगुरु परमहंस आचार्य धर्मेंद्र गोस्वामी को प्रवेश करने से रोकना ऐतिहासिक घटना में साबित हो सकता है। करीब 15 दिन पहले आगरा के ताजमहल में भगवा वस्त्र और धर्मदंड लेकर प्रवेश करने से जगत गुरू परमहंस आचार्य धर्मेंद्र गोस्वामी को रोक दिया गया था। उस समय तो धर्मेंद्र गोस्वामी अपमान का घूंट पीकर चुपचाप लौट गए लेकिन इस मुद्दे पर उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि ताजमहल प्रशासन ने उनका अपमान किया। इतना ही नहीं, यह संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी है। इस आधार पर जगत गुरु स्वामी हाईकोर्ट से न्याय की मांग की है।

जगत गुरू परमहंस आचार्य धर्मेंद्र गोस्वामी ने प्रवेश न देने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में धर्मदंड और भगवा वस्त्र के साथ ताजमहल में प्रवेश की अनुमति दी जाने की मांग की गई है। याचिका के जरिए ताजमहल में धर्मदंड और भगवा वस्त्र के साथ प्रवेश न देने और उनके प्रत्यावेदन को निस्तारित न करने को चुनौती दी गई है।

बता दें कि जगद्गुरु परमहंस को 26 अप्रैल 2022 को धर्मदंड और भगवा वस्त्र के साथ ताजमहल में प्रवेश करने से प्रशासन ने रोका था। विवाद बढ़ने के बाद उन्हें एएसआई आरके पटेल की ओर से ताजमहल में प्रवेश करने का निमंत्रण भेजा गया। इस निमंत्रण पर जब वह ताजमहल गए तो धर्मदंड को बाहर रखने की बात कही गई। कहा गया कि धर्मदंड के साथ ताजमहल में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। परमहंस द्वारा बार-बार आग्रह करने पर भी उन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें हाउस अरेस्ट कर वापस अयोध्या भेज दिया गया।

याचिका में कहा गया है कि इसके बाद चार मई 2022 को हिंदू युवा वाहिनी के एक नेता को धर्मदंड और भगवा वस्त्र के साथ प्रवेश की अनुमति दी गई थी। परमहंस ने इसके बाद सक्षम अधिकारी के सामने धर्मदंड और भगवा वस्त्र के साथ प्रवेश की अनुमति के लिए प्रत्यावेदन दिया था, जिसका निस्तारण नहीं किया गया।

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