प्रतापगढ़

बाहुबली राजाभैया" के सामने "हर्बल राजाभैया" प्रतापगढ़ के नए समीकरण ?

सुजीत गुप्ता
11 Sep 2021 12:24 PM GMT
बाहुबली राजाभैया के सामने हर्बल राजाभैया प्रतापगढ़ के नए समीकरण ?
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प्रतापगढ़ में क्या 'बाहुबल' वाले "राजा भैया" के ख़िलाफ़ क्या आगामी चुनावों में मैदान में उतरेंगे 'हर्बल' वाले "राजा भैया" ?

प्रतापगढ़। देश में यूं तो राजस्थान सहित कई प्रदेशों में प्रतापगढ़ नाम की जगहें हैं, जो कि अपने अलग-अलग विशिष्ट कारणों से मशहूर भी हैं। इन्हीं में से एक, उत्तरप्रदेश का प्रतापगढ़ जिला जिसका मुख्यालय शहर भी प्रतापगढ़ ही है,और इसका पुराना नाम बेल्हा भी है, यह कुछेक कारणों से पूरे देश में तो प्रसिद्ध है, विदेशों में भी इस नाम की धमक गूंज रही है।

पहला कारण उत्तर प्रदेश की राजनीति में विशेषकर प्रतापगढ़ की राजनीति में अपरिहार्य नाम बन चुके लोकप्रिय बाहुबली राजनेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का है कहा जाता है कि बिना इनकी मर्जी के यहां पत्ता भी नहीं हिलता, दूसरा नाम देश विदेश में हर्बल की खेती का डंका बजाने वाले तथा देश में सर्वश्रेष्ठ किसान का तीन बार अवार्ड जीतने वाले हर्बल कृषि वैज्ञानिक डॉ राजाराम त्रिपाठी उर्फ राजा भैया का है, जिनके पूर्वज कुछ दशकों पूर्व मूलत: इसी जिले से छत्तीसगढ़ बस्तर जाकर हर्बल खेती में अपना बस्तर छग सहित प्रतापगढ़ का नाम भी देश विदेश में रोशन कर रहे हैं। उनके साथ लगभग 22000 किसान परिवार सीधे जुड़ चुके हैं तथा देश में लाखों प्रगतिशील किसान इनके फालोअर हैं। यह भी दिलचस्प संयोग है कि इन दोनों का ही लोकप्रिय नाम "राजा भैया" ही है।

पिछले कुछ दशकों से प्रतापगढ़ की तीसरी पहचान बन गई है यहां का अमृत फल आंवला तथा यहां पर गांव गांव में छोटी छोटी इकाइयों में इसी आंवले से बनने वाले एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट एवं पौष्टिक उत्पाद। हाल में ही प्रतापगढ़ पहुंचे अखिल भारतीय किसान महासंघ आईफा के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने स्थानीय किसानों से चर्चा करते हुए कहा कि अभी प्रतापगढ़ के आंवला उत्पादकों तथा इसके प्रसंस्करण में लगी इकाइयों के हित में बहुत कुछ किया जाना जरूरी है,।

वरना प्रतापगढ़ तथा उत्तर प्रदेश की पहचान बन चुका यह अमृत फल यहां से विलुप्त हो जाएगा। यहां के आंवला उत्पाद की विशिष्ट गुणवत्ता की विश्व बाजार को जब तक जानकारी नहीं हो पाएगी,कि यहां के आंवले में किस प्रकार के विशेष औषधीय व खनिज तत्व पाए जाते हैं, तब तक इसके उत्पादकों का भला नहीं होने वाला है। जानकारी का बेहतर समायोजन न हो पाना कहीं न कहीं आंवले को अभी भी अंधेरे में रखे हुए हैं।

डॉ राजाराम त्रिपाठी देश के विभिन्न हिस्सों के "किसान की बात किसानों के साथ" कार्यक्रम के तहत बुधवार को दिल्ली से बनारस तथा सड़क मार्ग के द्वारा उत्तर प्रदेश के किसानों से सघन संपर्क करते हुए प्रतापगढ़ पहुंचे थे, यहां पर वो आंवला के किसानों व आंवला प्रसंस्करण उद्यमियों से मुलाकात की। वह प्रतापगढ़ से ही सटे हुए अपने ग्रह ग्राम सधारीपट्टी बारघाट भी गए। डॉ राजाराम त्रिपाठी छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के उत्पादक किसान हैं, जिन्हें दुनिया में "हर्बल किंग" के नाम से जाना जाता है।

भारत देश के विभिन्न कृषि के 30 से ज्यादा राष्ट्रीय उत्पादक मंडलो तथा किसान संगठनों के महासंघ अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) वे राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। आईफा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री त्रिपाठी ने कहा कि भारत के हर्बल उत्पाद इंटरनेशनल मार्केट मे बड़ी धमक रखते है, इस क्षेत्र में लाभ तथा रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।

संवाद के दौरान किसान आंदोलन का पुरजोर समर्थन करते हुए डॉ त्रिपाठी ने कहा कि किसानों की मांगे जायज हैं और सरकार की अदूरदर्शिता के कारण वह किसानों को बेतरह नाराज कर चुकी है। इसलिए इस पर सरकार को तत्काल विचार कर निराकरण करने की जरूरत है। उनके अनुसार कम जोत, बढते कृषि लागत, छुट्टा जानवर तथा अन्यायकारी मूल्य व लुटेरी व अनियंत्रित विपणन व बाजार व्यवस्था के कारण ही यहां की खेती किसानी दिनों-दिन कमजोर हो रही है।

हम देख सकते हैं कि किसान खेती छोड़ रहे हैं। मुनाफा घटते जाने के कारण आंवले के बाग कटते जा रहे हैं। उनका यह कहना है कि जड़ी-बूटियों की समुचित खेती से अब भी यहां के किसानों को मजबूत किया जा सकता है।

श्री त्रिपाठी ने कहा कि वह शीघ्र ही वे अलग से भ्रमण कार्यक्रम बनाकर प्रतापगढ़ का सघन दौरा कर आंवला किसानों व प्रसंस्करण उद्यमियों की समस्याओं के संबंध में वह भारत सरकार को आगाह करेंगे। डॉ त्रिपाठी न कहा कि निश्चित रूप से जिले का आंवला खनिज तत्वों से भरपूर है, किंतु किस प्रकार के खनिज तत्व पाए जाते हैं और किस मात्रा में पाए जाते हैं यह जानकारी किसी के पास नहीं है। इस पर और अधिक शोध किए जाने तथा उचित दस्तावेजीकरण किए जाने की आवश्यकता है

बैंक की उच्चाधिकारी की नौकरी से त्यागपत्र देकर बस्तर जैसे पिछड़े क्षेत्र में जड़ी बूटियों की सफल खेती कर सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रहे डॉ त्रिपाठी ने कहा कि वह इस मामले को भारत सरकार की लैब एवं बाहर की लैब से जानकारी कराकर लोगों के बीच लाएंगे तब जाकर जिले के आंवले को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मानकों के अनुसार हम यह कह पाएंगे कि हमारे जिले का आंवला सबसे अधिक पौष्टिक एवं खनिज तत्वों से भरपूर है।

त्रिपाठी ने कहा कि अपने पूर्वजों की कर्मभूमि तथा यहां के किसानों एवं उनके परिवारों के लिए वह कुछ कर सके तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। मेरा जन्म व कर्म क्षेत्र बस्तर व छत्तीसगढ़ जरूर है, जिसके लिए मैं तन मन धन से पूर्णतः संकल्पित भी रहा हूं, लेकिन हमारी जड़ें आज भी प्रतापगढ़ में मौजूद है और हम अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और अपने महान पूर्वजों की इस महान जन्मभूमि के लिए भी कुछ कर गुजरने का जज्बा सदैव मन में कचोटता रहता है।

उल्लेखनीय है कि इस दौरे में कुछ राजनीतिक हस्तियों ने भी डॉक्टर त्रिपाठी से मुलाकातें की। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजनीतिक पार्टियां डॉक्टर त्रिपाठी पर संभवत: इसलिए डोरे डाल रही है, ताकि डॉ राजाराम त्रिपाठी जोकि प्रतापगढ़ की ही माटी के पुत्र हैं, और आज भी यहां की अपनी जड़ों से गहराई से जुड़े हुए हैं, तथा अपनों के बीच "राजा भैया" के नाम से ही मशहूर भी हैं, इस देश विदेश में मशहूर और बेदाग सकारात्मक छवि वाले शख्सियत को यहां की बाहुबली राजनीति के बेताज बादशाह 'राजा भैया" के खिलाफ उतारा जाए।

हालांकि अभी इसे दूर की कौड़ी ही माना जाएगा पर अगर यह कयास सही निकलते हैं , तो प्रतापगढ़ की जनता के लिए 'बाहुबल' वाले राजा भैया के सामने 'हर्बल' वाले 'राजा भैया' को चुनाव मैदान में देखना एक दिलचस्प दंगल तो रहेगा ही। राजनीति तथा आगामी चुनाव को लेकर किए गए सवालों पर डॉक्टर त्रिपाठी ने कोई टिप्पणी नहीं की उन्होंने कहा किसानों की हालत को सुधारना तथा उनकी बेहतरी के लिए कुछ ठोस जमीनी कार्य करना ही उनकी प्राथमिकता है।

फिलहाल, डॉ त्रिपाठी जिले में अभी एक जनरल सर्वे कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह जनपद में पुनः आकर एक रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपेंगे,और उन्हें पूरा भरोसा है कि, इस रिपोर्ट पर जल्द ही जल्द से जल्द कोई ना कोई क्रियान्वयन सरकार द्वारा अवश्य किया जाएगा।

विवेक कुमार (स्वतंत्र पत्रकार)

Vivek Tripathi

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