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इविवि के कॉलेजों में पीएचडी को मिली हरी झंडी,इन कॉलेजों में इन विषयों में होगी पीएचडी
शशांक मिश्रा
इविवि इन दिनों बदलावों के दौर से गुजर रहा है! आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हाँगलू की अध्यक्षता में एकेडमिक कौंसिल की मीटिंग हुई। विधि संकाय में हुई इस मीटिंग में विश्वविद्यालय के 42 विभागों के विभागाध्यक्ष, चारों संकाय के डीन, रजिस्ट्रार, डीएसडब्लू और कई कॉलेज के प्रिंसिपल समेत तकरीबन 60 लोग शामिल हुए। कुलपति ने एकेडमिक कौंसिल की मीटिंग में प्रस्ताव रखा कि कॉलेज में पीएचडी कोर्स आरंभ किया जाए जिसे वहां उपस्थित सारे सदस्यों ने सर्वसम्मति और एक स्वर से सहमति प्रदान की। ज्ञात हो कि कुछ महीने पहले विश्वविद्यालय के कुलपति ने प्रोफेसर जगदंबा सिंह के निर्देशन में एक कमेटी का गठन किया था और इस कमेटी ने सारे कॉलेजों का दौरा किया था। कुछ दिन पहले ही कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। आज की बैठक में इसी रिपोर्ट पर चर्चा होनी थी। आज एकेडमी काउंसिल की मीटिंग में कुलपति ने सारे कॉलेजों में सैद्धान्तिक रूप से पीएचडी मंजूरी दे दी और एकेडमी काउंसिल में इस आशय का प्रस्ताव भी पास कर दिया गया। अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सारे कॉलेज अपने स्तर पर शोध प्रक्रिया आरंभ कर सकेंगे। पीएचडी में प्रवेश का आधार क्रेट परीक्षा द्वारा निर्धारित होगा । यूजीसी के अनुसार कॉलेज में एक असिस्टेंट प्रोफेसर के निर्देशन में 5 और एसोसिएट प्रोफेसर के निर्देशन में 8 छात्र शोध कर सकेंगे। विश्वविद्यालय के सारे कॉलेजों को पी एच डी करवाने की अनुमति दी गई है पर राजर्षि टंडन कन्या महाविद्यालय को इसमें शामिल नहीं किया गया क्योंकि उनके पास आधारभूत संरचना का अभाव है तथा वहां स्टाफ और छात्रों की संख्या भी पर्याप्त नहीं है।इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ. चितरंजन कुमार ने बताया कि 'कुलपति ने 50 साल से लंबित कार्यों को अंजाम तक पहुंचाया है . जो कॉलेज सालों से पक्षपात का शिकार थे आज वे विश्वविद्यालय के समक्ष आ गए। कई शिक्षकों का पूरा जीवन बिना रिसर्च के गुजर गया था। अब कॉलेजों के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।यह हम सबके लिए ऐतिहासिक पल है। '
आज एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में इस बात पर भी चर्चा हुई कि हिंदी विभाग में शोध की 60 सीटें बढ़ाई जाएं। इसके लिए बहुत शीघ्र ही विज्ञापन निकलेगा और यह 60 सीटें 2017 -18 की होंगी।
इस अवसर पर कुलपति प्रो रतन लाल हांगलू ने कहा कि"आज कॉलेजों ने पीजी से पीएचडी तक की यात्रा पूरी कर ली है। इसका लाभ विश्वविद्यालय के साठ हजार छात्रों को मिलेगा। किसी भी विश्वविद्यालय की पहचान शोध से ही होती है। मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कॉलेजों को शोध और ज्ञान का केंद्र बनाना चाहता हूं। हम कॉलेज की हरसंभव और हर स्तर पर सहायता करेंगे। कोई भी व्यक्ति यूनिवर्सिटी को जकड़ कर नहीं रख सकता। हम चाहते हैं कि सब पढ़ें, सब आगे बढ़े। मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय को देश में रिसर्च का केंद्र बनाना चाहता हूं। हम विश्वविद्यालय में संस्थागत सुधार के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। हमने आगे बढ़ने का एजेंडा तय कर लिया है। "
इन कॉलेजों में इन विषयों में पीएचडी कोर्स के लिए मिली स्वीकृति :-
इलाहाबाद डिग्री कॉलेज- हिंदी, रक्षा अध्ययन, अर्थशास्त्र।
सीएमपी कॉलेज- बॉटनी,
जूलॉजी, केमेस्ट्री, कॉमर्स, लॉ, हिंदी,इंग्लिश, संस्कृत, ज्योग्राफी, एजुकेशन ,एंसीएन्ट हिस्ट्री पॉलिटिकल साइंस।
ईश्वर सरन डिग्री कॉलेज- हिंदी, इंग्लिश,एंसीएन्ट हिस्ट्री ,मेडिवल हिस्ट्री,, सोशियोलॉजी, पॉलीटिकल साइंस ,डिफेंस स्टडीज ,एजुकेशन, कॉमर्स, इकोनॉमिक्स।
यूइंग क्रिश्चियन कॉलेज- इकोनॉमिक्स, फिलोशफी, पॉलीटिकल साइंस, एजुकेशन, बॉटनी, केमेस्ट्री, फिजिक्स ।
एसपीएम कॉलेज- पॉलिटिकल साइंस, डिफेंस, कॉमर्स .
आर्य कन्या- पॉलिटिकल साइंस, एजुकेशन .
जगत तारन कॉलेज- संस्कृत .
हमीदिया कॉलेज- उर्दू .
एसएस खन्ना कॉलज- हिंदी, प्राचीन इतिहास, सोशियोलॉजी, बॉटनी, केमिस्ट्री ,जूलॉजी ।
राजर्षि टंडन कॉलेज में पीएचडी की सुविधा नहीं दी गई। एकेडमी काउंसिल की मीटिंग में कई कॉलेजों ने इस बात को उठाया कि सेल्फ फाइनेंस कोर्स को रेगुलर मोड में किया जाए। इसके लिए कुलपति ने एक कमेटी गठित की ।