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तुलसीदास , कबीर और निराला जैसे कवि हिंदुस्तान के जन जीवन में घुल मिल गए हैं : विधानसभाध्यक्ष ह्रदय नारायण
शशांक मिश्रा
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मानव संसाधन विकास केंद्र और हिंदी विभाग के द्वारा 17 वें पुनश्चर्या कार्यक्रम का आरंभ हुआ। नॉर्थ हाल में उद्घाटन वक्तव्य देते हुए उत्तर प्रदेश विधानसभाअध्यक्ष हृदय नारायण दिक्षित ने कहा कि निराला का काव्य काल और समय से परे है। उन्होंने निराला की कविता की समकालीनता पर जोर देते हुए कहा कि देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में आज भी वर दे वीणा वादनी' गाकर ही कार्यक्रम का आरंभ होता है। अंग्रेजी साहित्य में शैली, शेक्सपियर का उदाहरण देते उन्होंने कहा कि यूरोप का कोई भी कवि कभी जनता की जुबान और आचार विचार तक नहीं पहुंचा जबकि तुलसीदास , कबीर और निराला जैसे कवि हिंदुस्तान के जन जीवन में घुल मिल गए हैं।
उन्होंने कुलपति प्रो रतन लाल हांगलू को नवीन विचारों का वाहक भी बताया। मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए हिंदुस्तानी एकेडमी के अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने कहा कि छायावाद को किसी एक विचारधारा में बांधकर नहीं देखना चाहिए। कार्यक्रम की अध्य्क्षता करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रतनलाल हांगलू ने कहा कि छायावादी कवियों में महादेवी वर्मा और निराला का काव्य मुझे सर्वाधिक आकर्षित करता है । कुलपति ने यह भी घोषणा कि की इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छायावाद पर शीघ्र ही राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी आयोजित की जाएगी , जिसमें हर केंद्रीय विश्वविद्यालय से विद्वान वक्ता बुलाए जाएंगे। विशिष्ट अतिथि प्रो आर के सिंह ने कहा कि छायावाद पर किसी विदेशी दर्शन का प्रभाव नहीं था। कार्यक्रम के संयोजक प्रो योगेंद्र प्रताप सिंह ने परिचय देते हुए कहा कि इस पुनश्चर्या कार्यक्रम में भारत के 11 राज्यों से 40 प्रतिभागियों ने उपस्थिति दर्ज करवाई है।