प्रयागराज

प्रो संगीता श्रीवास्तव इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति बनी , पदभार ग्रहण किया

Shiv Kumar Mishra
30 Nov 2020 11:36 AM GMT
प्रो संगीता श्रीवास्तव इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति बनी , पदभार ग्रहण किया
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परीक्षा नियंत्रक के हवाले से उन्होने यह बताया की आगामी कुछ दिनों मे ही स्नातक स्तर के बाकी बचे सभी परिणाम घोषित कर दिये जायेंगे।

शशांक मिश्रा

11 महीनों के लंबे अंतराल के बाद आज विश्वविद्यालय की स्थायी कुलपति के रूप में प्रो० संगीता श्रीवास्तव ने पदभार ग्रहण कर लिया। सुबह ११ बजे उन्होने निवर्तमान कार्यकारी कुलपति प्रो० आर० आर० तिवारी से कार्यभार ग्रहण किया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो० नरेन्द्र शुक्ल ने कार्यभार हस्तान्तरण की औपचारिकताएं पूरी करायी। इस अवसर पर सभी संकायों के संकायाध्यक्ष, प्राक्टर, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों के शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। सभी ने नव नियुक्त कुलपति महोदया का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया। इस अवसर पर कुलपति महोदया ने सभी से विश्वविद्यालय के विकास के लिए कटिबद्ध होकर कार्य करने का आग्रह किया और अपेक्षा की विश्वविद्यालय आपने पुराने गौरव को प्राप्त करेगा। उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुये उन्होने कहा की यह हम सब का उत्तरदायित्व है की हम अपनी संस्था के उत्थान के लिए अपना सर्वोत्कृष्ट योगदान दें और इस दिशा में निरन्तर प्रयास करते रहें।

कार्यभार ग्रहण करने के बाद कुलपति महोदया ने विश्वविद्यालय के नार्थ हाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस अवसर पर उन्होने विश्वविद्यालय को लेकर अपने लक्ष्यों को साझा किया। उन्होने कहा की विश्वविद्यालय में शिक्षकों और कर्मचारियों के काफी पद रिक्त हैं, जिन्हे भरना उनकी पहली प्राथमिता होगी। यू०जी०सी० के मानदंडों का अक्षरशः पालन करते हुये उत्कृष्टकोटि के शिक्षकों एवं कर्मचारियों का चयन किया जाएगा। इससे न केवल पठन-पाठन का वातावरण सुधरेगा वरन विश्वविद्यालय की गिरती रैंकिंग में भी अपेक्षित सुधार होगा।


इसी क्रम मे उन्होने ने नई शिक्षानीति के प्रविधानों को लागू करने के लिए अपेक्षित वातावरण के निर्माण के प्रति भी अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होने कहा की बी० ए० के पाठ्यक्रमों में ऐसे विषय शामिल किए जायेंगे जो रोजगारपरक हों। साथ ही साथ छात्र- छात्राओं को तीन- चार भाषायें सीखने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा। संस्कृत, जर्मन, फ्रेंच, मंदारिन आदि भाषाओं को सीखने के कार्यक्रमों की शीघ्र स्थापना की जाएगी। उन्होने कहा की विभागों में आवश्यकता के अनुसार उन्नतकोटि की प्रयोगशालायों की स्थापना की जाएगी तथा समाजोपयोगी शोध के लिए प्रेरित किया जाएगा। नयी शिक्षा नीति को लागू करने के लिए अधिकाधिक विमर्श-कार्यक्रम एवं वर्कशाप आदि का आयोजन किया जाएगा।


वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान रखते हुये, विश्वविद्यालय की वैबसाइट की क्षमता बढ़ाई जाएगी, जिससे कि शिक्षकगण पाठ्य सामग्रियों को सहजता से वैबसाइट पर अपलोड कर सकें। अन्य शिक्षण पोर्टल्स से भी विश्वविद्यालय की वैबसाइट को लिंक किया जाएगा, जिससे की यह अधिक छात्रोपयोगी बन सके। प्रशासन से बात करके यह निर्णय लिया जाएगा कि शिक्षण कार्य ऑनलाइन मोड में किया जाए या ऑफलाइन शिक्षण की संभावनाएँ तलाशी जाएँ। परीक्षा नियंत्रक के हवाले से उन्होने यह बताया की आगामी कुछ दिनों मे ही स्नातक स्तर के बाकी बचे सभी परिणाम घोषित कर दिये जायेंगे।

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