प्रयागराज

चार साल से जेल में बंद UP पुलिस के सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह, अब बच्चे भी निकाले स्कूल से

Special Coverage News
6 Dec 2018 2:36 AM GMT
चार साल से जेल में बंद UP पुलिस के सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह, अब बच्चे भी निकाले स्कूल से
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आज हम बात करते हैं उत्तर प्रदेश पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह की जो लगभग विगत 4 साल से जेल में निरुद्ध हैं। पुलिस सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह का नाम तब चर्चा में आया था जब उनके ऊपर आरोप लगा कि उन्होंने इलाहाबाद की जिला अदालत में नबी अहमद नाम के एक वकील को गोलीमार दी थी। ये वो समय था जब न सिर्फ इलाहाबाद के बल्कि पूरे भारत के वकील सड़कों पर आ गए थे।

अब इस सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह के बच्चे भी स्कुल से निकाल दिए गये है। लेकिन अब इस पुलिस के अधिकारी के साथ कोई नहीं खड़ा है। इसके साथ भी न्याय की आस में बच्चे और पत्नी अब पूरी तरह टूट चुके है। अब उनको सिर्फ उपर वाले से ही उम्मीद है। इस पर अब कोई खबर भी नहीं लिखेगा। क्योंकि अब इस खबर से टीआरपी नहीं मिलेगी। तब विपक्ष में बैठी बीजेपी ने विरोध किया था लेकिन अब उससे भी परिजनों को आस नहीं है

दिल्ली, बंगलौर तक एक स्वर में शैलेन्द्र सिंह को फांसी की मांग की गयी थी और कई वकीलों ने शैलेन्द्र सिंह का केस न लड़ने तक का फरमान सुना दिया था। दहशत कुछ यूं बन गयी थी की खुद शैलेन्द्र सिंह की रिश्तेदारी में पड़ने वाले वकीलों ने भी नबी के समर्थन वाली लॉबी के आगे घुटने तक दिए थे और केस लड़ने से मना कर दिया था। यहाँ ये जानना जरूरी है की इस देश में वकील अजमल कसाब को भी मिल गए , आतंकी और कई निर्दोषों के कातिल याकूब के लिए तो रात दो बजे कोर्ट भी खुलवा देते हैं।

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यद्द्पि इस घटना का एक वीडियो सामने आया है जिसमे साफ़ साफ़ शैलेन्द्र सिंह को कई वकीलों से अकेले जूझते देखा जा सकता है और उसमे नबी अहमद नाम के वकील की आवाज साफ़ तेज तेज सुनाई दे रही थी। शैलेन्द्र सिंह के परिवार के अनुसार तो किसी मुकदमे में नबी अहमद के मनमाफिक रिपोर्ट न लगाने के चलते नबी अहमद ने शैलेन्द्र सिंह को कचेहरी बुलाने का पूरा ताना बना बुना था और जैसे ही शैलेन्द्र सिंह कचेहरी पहुंचे उन पर हमला बोल दिया गया जिसके बाद ये दुर्घटना घटी। यहाँ यह भी ध्यान रखना जरूरी है की उस समय अखिलेश यादव की सरकार थी जो घोरतम तुष्टिकरण के चलते अक्सर चर्चा में रहती थी। शैलेन्द्र सिंह को आनन फानन में गिरफ्तार कर लिया गया और मृतक नबी अहमद के परिवार को तत्काल अखिलेश सरकार द्वारा सरकारी सहायता राशि उपलब्ध करवाई गयी। शैलेन्द्र सिंह बार बार कहता रहा की वो राष्ट्रभक्त है और उस की ही जान को खतरा था पर उसकी एक नहीं सुनी गयी और हालात ये हो गए की उसे ना पा कर उसके बदले नबी अहमद के कुछ बहुत ख़ास लोगों द्वारा एक सिपाही नागर को गोली मारी गयी जिसका विरोध कई राष्ट्रवादी वकीलों ने खुद किया और इस हिंसा को गलत ठहराया।फिर परिस्थितियां इतनी विषम हो गयी की शैलेन्द्र सिंह को इलाहाबाद जेल में भी रखना उनकी जान के लिए खतरा माना जाने लगा। मृतक नबी अहमद दुर्दांत अपराधी अशरफ का बेहद ख़ास था।

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शैलेन्द्र सिंह को उनकी जान के खतरे को देखते हुए इलाहाबाद से बहुत दूर रायबरेली जेल में रखा गया , उनका साथ देने जो भी सामने आया उसको अदालत परिसर में बेइज्ज्ज़त किया गया जिसमें आईजी अमिताभ ठाकुर की धर्मपत्नी श्रीमती नूतन ठाकुर तक शामिल हैं। शैलेन्द्र सिंह के परिवार का कहना है की यदि उनके पक्ष को विधिपूर्वक , न्यायपूर्वक और निष्पक्षता से सूना जाय तो निश्चित तौर पर शैलेन्द्र सिंह मुक्त करने योग्य पाए जाएंगे। सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह के परिवार के हालात देखें तो अब बेहद दयनीय हालात में पहुंच गया है। उनकी दो बेटियां कभी अपने पिता से मिलने जब जेल में जाती हैं तो वो पुलिस अधिकारी चाह कर भी इसलिए नहीं रो पाता क्योकि उसको पता है की उसके बाद उसकी बेटियां रोयेंगी तब उन्हें बाहर कोई चुप करवाने वाला भी नहीं है। एक बेटी तो ठीक से जानती भी नहीं कि पिता का प्रेम क्या होता है। क्योकि जब वो महज तीन माह की थी तब से ही उनका पिता जेल में है।

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ख़ास कर अल्पसंख्यकों के खिलाफ पुलिस विभाग के हाथ पैर बांध कर रखने वाली पिछली अखिलेश सरकार में हुई इस घटना के समय सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह इलाहाबाद के शंकरगढ़ थाने के अंतर्गत आने वाली नारीबारी पुलिस चौकी के प्रभारी थे। शैलेन्द्र सिंह के माता पिता की मृत्य हो चुकी है और उनका एकभाई विक्षिप्त हो गया है। इस प्रकार कभी अपने जिले के सबसे जांबाज़ और तेज तर्रार पुलिस सब इंस्पेक्टरों में से गिना जाने वाले शैलेन्द्र सिंह का पूरा परिवार अब बेहद ही डांवाडोल हालत में है। हालात इतने विषम हैं की उनकी पत्नी श्रीमती सपना सिंह को अपने तीन मासूम बच्चो के साथ अपने पिता के घर रहना पड़ रहा है जहाँ जैसे तैसे इस परिवार का गुजारा हो रहा है। हालात ये भी हैं की अब तीनों बच्चो की पढ़ाई आदि भी खतरे में पड़ती जा रही है क्योकि अपने पति का मुकदमा लड़ते लड़ते इस परिवार का सब कुछ बिक चुका है और यही हाल रहा तो कल खाने के लिए भी दिक्कत पैदाहो जायेगी।

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एक पुलिस वाले जो कानून और समाज की रक्षा के लिए वर्दी पहना हो उसकी व् उसके परिवार की ये दुर्दशा किसी पत्थरदिल का भी कलेजा पिघलाने के लिए काफी है। सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह को वर्तमान योगी सरकार से, पुलिस विभाग से और उतना ही राष्ट्रवादी विचारधारा के वकीलों से आशा है की वो उन्हें न्याय दिलाएंगे। यद्द्पि विगत तीन वर्षो में आर्थिक व् सामाजिक रूप से टूट चुके इस परिवार के पास अब पैरवी के लिए मात्र शैलेन्द्र सिंह जी की पत्नी सपना सिंह जी ही हैं जो शायद ही ऐसी कोई चौखट हो जहाँ मत्था टेक कर ना आ चुकी हों अपने पति को न्याय दिलाने की मांग को ले कर। यहाँ सवाल तथाकथित मानवाधिकारियों से भी है, जो नक्सलियों व आतंकवादियों तक के पक्ष में खड़े हो जाते हैं पर निर्दोष पुलिसकर्मियों के पास में नहीं!


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