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उत्तर प्रदेश में सत्ता ने लोकतंत्र का कराया चीरहरण, जिला पंचायत का नही हुआ मतदान, दिनभर सड़को पर हुआ तांडव
धीरज श्रीवास्तव
रायबरेली। हॉ-हाँ मैं देश का सत्तर साल बूढा लोकतंत्र हु, आज व्यथित, पीडि़त हु? क्योकि सत्ता के अहंकार में मदमस्त धनबल बाहुबल ने मुझे असि-मसि की धरती ने वो जख्म दिया है, जिसकी कल्पना हमने कभी नही की थी। आज देश की स्वतंत्रता के मतवालों का साई नदी में बहा रक्त वर्तमान कथित राजनेताओ कृत्य से व्यथित हुआ है। वह मान रहे कि देश के लिए सर्वश्व न्योछावर करने के बाद धनलोलुप राजनीति का यह भयावह रूप जनपद का भविष्य होगा।
जी हां हम बात कर रहे है आज हुए उस अफसोसजनक खेल का, जिसमे जिला पंचायत अध्यक्ष के विरुद्ध आये अविश्वास प्रस्ताव पर उच्च न्यायालय के निर्देश पर मतदान करने जा रहे जिला पंचायत सदस्यों के साथ अपहरण के बाद कुर्सी बचाने के लिए उनके साथ कि गयी जघन्य मारपीट का! सदर की कांग्रेस विधायिका अदिति सिंह के साथ हुई निंदनीय का, घटना का मतलब स्पष्ट है कि जिला पंचायत जनसेवा का नही कुबेर का भंडार है। जहां अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने के बाद दोनों हाथों से मात्र जनता का धन लूटना है। अध्यक्ष अवधेश सिंह के भाई भाजपा एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह सत्ता ने अहंकार और जिला प्रशासन के सहयोग से अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने से रोकने के लिए जिस तरह जनपद की सीमा पर सदर विधायिका अदिति सिंह के संरक्षण में लखनऊ से आ रहे जिला पंचायत सदस्यों पर अपने गुर्गों के बल पर जानलेवा हमला कराया उससे लोकतंत्र की गरिमा, मर्यादा, उसकी सर्वोच्चता धूलधूसरित हो गयी। अदिति सिंह पर हमला हुआ, जिला पंचायत सदस्यों पर हमला हुआ, एक सदस्त राकेश अवस्थी जिंदगी मौत से संघर्ष कर रहा और पंचवटी परिवार लोकतंत्र की हत्या करके सत्ता के संरक्षण में अ_हास कर रहा है। पूरे प्रकरण में राज्य की भाजपा सरकार की मिलीभगत से जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक ने लोकतांत्रिक मूल्यों के खुलेआम चीरहरण को कातरदृष्टि से देखा है, वह भी संदेह के दायरे में है। ग्रामस्वराज की लोकतांत्रिक अवधारण का उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद भी जिस तरह हत्या हुई है उसने कलंकित किया है उसे इतिहास माफ नही करेगा।
कांग्रेस की लचर रणनीति
कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा ने दिनेश प्रताप सिंह के भाजपा में सम्मिलित होते ही उनके जिला पंचायत अध्यक्ष भाई अवधेश सिंह के विरुद्ध सदस्यों का बहुमत जुटाकर अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत कराया, अनेक कानूनी दावे पेंच के बाद आज मतदान के दिन पण्डित जी की पूरी रणनीति लचर साबित हुई और उनके पाले में खड़े जिला पंचायत सदस्य प्रशासन की अनदेखी के चलते सरे राह गुंडों से पीटते रहे और अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान नही हो पाया। जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी बचने में भाजपा एमएलसी पूरी तरह कामयाब हो गए इसका पूरा श्रेय कांग्रेस की लचर दिशाहीन अंदर से मिलीभगत वाली ही नजर आयी। कांग्रेसियों के बहकावे में जिला पंचायत सदस्यों की जान पर बनी, पुलिसिया उत्पीडऩ परिवार का होता रहा और कांग्रेस अपने सहयोगियों की रक्षा में असमर्थ साबित हुई।