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राम मंदिर : चीफ जस्टिस ने तय की सुनवाई की समय सीमा,अब होगा मंदिर निर्माण!
अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि अब मध्यस्थता की कोशिशों के लिए मामले की सुनवाई को रोका नहीं जाएगा। कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के साथ ही समानांतर रूप से मध्यस्थता की कोशिशें जारी रखी जा सकती हैं। इसके साथ ही मामले की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने डेडलाइन तय कर दी है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने 18 अक्टूबर तक दलीलें पूरी करने की डेडलाइन तय की है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि एक महीने में बहस पूरी करने के लिए सभी पक्षों को कोशिश करनी पड़ेगी. जरूरत पड़ी तो हम शनिवार को भी सुनवाई के लिए तैयार हैं. इसके बाद हमें फैसला लिखने के लिए चार हफ्तों का समय मिलेगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि मध्यस्थता को लेकर पत्र मिला. अगर पक्ष आपसी बातचीत से मसले का समझौता करना चाहते है तो इसे कोर्ट के समक्ष रखे. आप मध्यस्थता कर सकते हैं. इसकी गोपनीयता बनी रहेगी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने 25वें दिन की सुनवाई के दौरान सभी पक्षकारों से कहा कि वह बताएं कि उन्हें अपनी दलील देने में और जवाब दाखिल करने में कितना समय लगेगा. सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि हमें भी इससे यह पता लग जाएगा कि फैसला लिखने के लिए हमारे पास कितना वक्त है. इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि हम जल्द से जल्द बहस पूरी कर इस मामले में फैसला चाहते हैं. बता दें कि सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. अगर उनके रिटायरमेंट तक फैसला नहीं आता तो नई संविधान पीठ का गठन कर दोबारा मामले की सुनवाई शुरू होगी. ऐसे में संकेत यहीं हैं कि एक सदी से पुराने इस मामले में फैसला आने वाला है.
बतादें कि 17 नवंबर को CJI जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो रहे है. कोर्ट ने कहा पक्षकार बहस के लिए कितना कितना समय लेंगे ताकि हम अंदाजा लगाकर उसी हिसाब से प्लान कर लें कि सुनवाई में कुल कितना वक्त लगेगा. इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने कहा, 'मैं पूरी कोशिश करूंगा कि समय से बहस पूरी हो और फैसला आए.' बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल गठित किया था. लेकिन मध्यस्थता की सारी कोशिशें विफल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में रोजाना सुनवाई का आदेश दे दिया था।
अगर 17 नवंबर तक फैसला नहीं आया तो क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में अयोध्या राम जन्मभूमि मामले की रोजाना सुनवाई कर रही है. 17 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में अगर उनकी रिटायरमेंट तक यह फैसला नहीं आता है तो इस मामले की सुनवाई करने के लिए नई पीठ का गठन होगा. नई बेंच इस मामले की सुनवाई दोबारा शुरू करेगी. ऐसे में इस मामले में मौजूदा संविधान पीठ द्वारा की जा रही सुनवाई की सारी प्रक्रिया एक बार और दोहराई जाएगी. नई पीठ का गठन होने के बाद नए सिरे से मामले की सुनवाई होगी. ऐसे में सीजेआई ने अपने रिटायरमेंट से 2 महीने पहले ही इस मामले से जुड़े सभी पक्षकारों से पूछा है कि उन्हें अपना पक्ष रखने में कितना समय लगेगा. इससे संकेत यहीं मिलता है कि चीफ जस्टिस अपनी रिटायरमेंट से पहले इस मामले में फैसला सुना देना चाहते हैं.