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राम मंदिर केस में ब्रेकर बनी पुनर्विचार याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने फिर सुना दिया अपना फैसला
लखनऊ। अयोध्या मंदिर-मस्जिद विवाद पर को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला 9 नवंबर को सुना दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया। इसके तहत अयोध्या की 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए दे दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बने और इसकी योजना तैयार की जाए। चीफ जस्टिस ने मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दिए जाने का फैसला सुनाया, जो कि विवादित जमीन की करीब दोगुना है। चीफ जस्टिस ने कहा कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है और हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर आज गुरुवार को सुनवाई हुई इस दौरान सभी पुनर्विचार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
बंद चैंबर में पांच जजों की संवैधानिक बेंच 18 अर्जियों पर सुनवाई की. इससे पहले निर्मोही अखाड़े ने भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया. निर्मोही अखाड़े ने अपनी याचिका में कहा कि फैसले के एक महीने बाद भी राम मंदिर ट्रस्ट में उनकी भूमिका तय नहीं हुई है. कोर्ट इस मामलें में स्पष्ट आदेश दे।
इस पीठ में अब जस्टिस संजीव खन्ना नया चेहरा होंगे. पहले बेंच की अगुवाई करने वाले तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो चुके हैं. संजीव खन्ना ने उनकी जगह ली है. शीर्ष अदालत ने अयोध्या जमीन विवाद मामले में नौ नवंबर को अपना फैसला सुनाया था. अदालत ने विवादित जमीन रामलला को यानी राम मंदिर बनाने के लिए देने का फैसला किया था।
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की विशेष पीठ के सामने 9 नवंबर को दिए अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए कुल 18 याचिकाएं दाखिल की गई थी इनमें 9 याचिकाएं पक्षकारों की ओर से हैं और जबकि शेष 9 अन्य याचिकाकर्ता हैं।