उत्तर प्रदेश

रोली तिवारी मिश्रा और ऋचा सिंह को समाजवादी पार्टी ने किया बाहर, स्वामी प्रसाद मौर्या का विरोध करना पड़ा भारी! समझिए- क्या है नया समीकरण?

Arun Mishra
17 Feb 2023 5:44 AM GMT
रोली तिवारी मिश्रा और ऋचा सिंह को समाजवादी पार्टी ने किया बाहर, स्वामी प्रसाद मौर्या का विरोध करना पड़ा भारी! समझिए- क्या है नया समीकरण?
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समाजवादी पार्टी ने रोली तिवारी मिश्रा और ऋचा सिंह को पार्टी से निकाल दिया है।

समाजवादी पार्टी ने रोली तिवारी मिश्रा और ऋचा सिंह को पार्टी से निकाल दिया है। दोनों ही नेता सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर दिए गए बयान के खिलाफ थीं. और सोशल मीडिया पर अपनी बात प्रमुखता से रख रहीं थीं।

ऋचा सिंह समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता रह चुकी हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन की पहली महिला इलेक्टेड प्रेसिडेंट रह चुकी हैं। छात्र राजनीति के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी के जरिए अपनी राजनीति को आगे बढ़ाया। पार्टी की ओर से उन्हें इलाहाबाद वेस्ट विधानसभा सीट से उम्मीदवार भी बनाया गया था।

रोली तिवारी मिश्रा भी समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता रह चुकी हैं।आगरा से सपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं। सपा सरकार में उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य भी रह चुकीं हैं।

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरितमानस पर की गई टिप्पणी का विरोध करने वाली रोली मिश्रा तिवारी और ऋचा सिंह को पार्टी ने अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर लोग सपा प्रमुख अखिलेश यादव से कई तरह के सवाल कर रहे हैं।

दोनों नेताओं ने स्वामी का किया था खुला विरोध

समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ डॉ. रोली तिवारी मिश्रा ने एनएसए लगाने की मांग की थी, तो रिचा सिंह ने मौर्य के पुराने वीडियो जारी किये हैं, साथ ही उन पर धार्मिक उन्माद फैलाने का आरोप लगाया था. रोली तिवारी मिश्रा ट्वीट करके कहा था कि हर तरफ सनातन धर्म के खिलाफ साजिश कर, हिंदू जातियों को बांटकर क्या देश में "गृहयुद्ध" जैसी भूमिका रची जा रही है ?

समझिए- क्या है नया समीकरण

समाजवार्दी पार्टी लगातार कई चुनाव हार चुकी है. उसके हर एजेंडे को बीजेपी ने चुनाव दर चुनाव मात दी है. सपा के गठबंधन भी हर चुनाव में फेल हुए हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के लिये अखिलेश यादव अलग ही बिसात बिछा रहे हैं. चाचा शिवपाल यादव को साथ लाने के साथ ही पिछड़ों और शूद्रों की तरफदारी करके उन्होंने नये समीकरण के साथ मैदान में उतरने का संदेश दे दिया है.

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