सिद्धार्थनगर

युधिष्ठिर ने की थी माता पल्टादेवी की स्थापना, महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास

Satyapal Singh Kaushik
21 Oct 2023 1:30 PM GMT
युधिष्ठिर ने की थी माता पल्टादेवी की स्थापना, महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास
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सिद्धार्थनगर के शोहरतगढ़ तहसील के अंतर्गत चिल्हिया में स्थापित है माता पल्टादेवी का स्थान

नवरात्रि विशेष में आज हम आपको बताएंगे माता पल्टादेवी जी के बारे में, ऐसा कहा जाता है की जो भी माता से अपने सुख शांति की कामना करता है। उसके बिगड़े भाग्य को बदल देती हैं मां।

सिद्धार्थनगर जिले के चिल्हिया में स्थापित है माता पल्टादेवी स्थान। माता के इस शक्तिपीठ का इतिहास द्वापर युग में महाभारत से जुड़ा हुआ है। यहां पर श्रद्धालुओं का भाग्य माता के दर्शन मात्र से संवर जाता है। सच्चे मन से की गई प्रार्थना का मनवांछित फल माता अपने भक्तों को देती हैं।

जानिए इतिहास

माता के इस शक्तिपीठ स्थल का इतिहास द्वापर युग में महाभारत से जुड़ा हुआ है। किवदंती है कि, द्वापर युग में जब पांडव जुए में अपना राज पाट हार गये थे और जुए में ये शर्त रखी गयी थी की हारने पर पांडव को 12 वर्षों का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास बिताना पडे़गा। साथ ही एक और कठिन शर्त रखी गई थी कि एक वर्ष के इन अज्ञातवास में उनकी पहचान हो जायेगी तो उन्हें पुन: 12 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास बिताना पडे़गा। इसी शर्त के साथ पाडंव अपनी पत्नी द्रौपदी सहित वनवास के लिए निकल पड़े।उस दौरान पल्टादेवी के स्थान पर पांडव आए। उस समय यह स्थान भयानक जंगल था। जहां पर मां का स्थान है वहां पर युधीष्ठिर का पगड़ी रूपी मुकुट गिर गया था। उस वक्त राजाओं का मुकुट गिर जाना किसी बड़ी घटना का संकेत था। पांचों भाईयों में सहदेव ज्योतिषी थे और वे अपने ज्योतिष ज्ञान से बताए कि यहां देवी का साया है। पांडवों ने यहां पर रात्रि में विश्राम किया तो स्वपन मे मां ने युधिष्ठिर को अज्ञातवास बिताने का दिशा निर्देश दिया और सुबह युधिष्ठिर ने यहां पर मां पल्टा देवी का पूजा पाठ किया। यह मनौती मांगी की यदि मेरा राज्य मुझे पलटकर मिल जाता है तो मै यहां मंदिर की स्थापना करूंगा। फिर बाद में पांडवों को अपना राजपाट मिल गया। तत्पश्चात युधिष्ठिर ने मां पल्टादेवी व भगवान शिव जी की मंदिर की स्थापना की। मां पल्टादेवी बिगडे़ भाग्य को पलटने वाली देवी कही जाती हैं। इसी वजह से इनका नाम मां पल्टादेवी पड़ा और उनके नाम से ही इस जगह को पल्टा देवी कहा जाने लगा

देश से नहीं विदेश से भी आते हैं श्रद्धालु दर्शन करने

माता की ऐसी महिमा है की यहां पर भारत से ही नहीं पड़ोसी देश नेपाल से भी भक्त आते हैं माता का दर्शन करने। भाग्य को बदलने वाला माता का यह स्थान बहुत ही दिव्य और भव्य है। नवरात्रि में दूर,दूर से श्रद्धालुओ का यहां तांता लगा रहता है।

Satyapal Singh Kaushik

Satyapal Singh Kaushik

न्यूज लेखन, कंटेंट लेखन, स्क्रिप्ट और आर्टिकल लेखन में लंबा अनुभव है। दैनिक जागरण, अवधनामा, तरुणमित्र जैसे देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित होते रहते हैं। वर्तमान में Special Coverage News में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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