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BHU के IMS ने मॉलिक्यूलर स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम शुरू किया

BHU के IMS ने मॉलिक्यूलर स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम शुरू किया
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आशुतोष त्रिपाठी

वाराणसी: प्रोफेसर सुनीत कुमार सिंह विभागाध्यक्ष -आण्विक जीवविज्ञान,इंस्टीट्यूट ऑफ मैडिकल साईंसिस, बीएचयू, वाराणसी के नेतृत्व में आणविक जीवविज्ञान इकाई- आईएमएस में आणविक कौशल विकास(मॉलिक्यूलर स्किल डेवलपमेंट) कार्यक्रम शुरू किया गया है।

3दिवसीय " हैंड्स ऑन वर्कशॉप ऑन ब्राइटफील्ड एंड फ्लूरोसेन्स माइक्रोस्कोपी" का पहला कार्यक्रम आज 20 दिसंबर, 2017 को शुरू हुआ। यह पाठ्यक्रम उन लोगों के लिए है, जो प्रतिदीप्ति माइक्रोस्कोपी के सिद्धांतों और लाइफ साइंसेज के अपने अनुप्रयोगों की शुरूआत करना चाहते हैं। यह प्रोग्राम मुख्य रूप से पीएचडी विद्यार्थिओं के लिये हैं; जो अपने शोध में प्रतिदीप्ति माइक्रोस्कोपी का उपयोग कर रहे हैं या इसका इरादा है।
विभिन्न शोध क्षेत्रों के अन्य व्यक्तियों को इस रोमांचक क्षेत्र में प्रवेश करने और कार्यशाला के प्रयोगात्मक हिस्से पर हाथ से लाभ प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। प्रतिभागियों को स्वयं के द्वारा सबकुछ करके माइक्रोस्कोपी के विभिन्न कौशल के बारे में सीखना होगा। पाठ्यक्रम में व्याख्यान, प्रयोगशाला अभ्यास, प्रदर्शन और चर्चाएं शामिल हैं जो प्रतिभागियों को इमेजिंग प्रयोगों को डिज़ाइन करने, माइक्रोस्कोप छवियों की व्याख्या, मात्रात्मक ऑप्टिकल मापन प्रदर्शन करने में सक्षम बनाती हैं। इस आवश्यकता के आधार पर इस देश के युवा छात्रों और संकाय सदस्यों को प्रशिक्षित करने के लिए इस कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है । यह कार्यशाला मॉल्यूकलर बायोलॉजी यूनिट - आईएमएस, बीएचयू और लाइका माइक्रोसिस्टम्स के साथ संयुक्त सहयोग में आयोजित की जा रही है। यह अकादमिक और उद्योग भागीदारी का सबसे अच्छा उदाहरण है।
माइक्रोस्कोपी स्टाफ के सदस्यों ने प्रयोगात्मक रणनीति और डिजाइन में सहायता करके, तरीकों और तकनीकों के विकास की जांच करके और विशेषज्ञ कौशल की आवश्यकता रखने वाली प्रक्रियाओं के अनुसंधान में महत्वपर प्रकाश डाला है। इस कार्यशाला का उद्घाटन प्रोफेसर वी के शुक्ला, निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू, वाराणसी ने किया है। प्रो। शुक्ल ने आणविक जीव विज्ञान यूनिट में इस कार्यशाला के संयोजक प्रोफेसर सुनीत सिंह द्वारा शुरू की गई आणविक कौशल विकास कार्यक्रम की अवधारणा की सराहना की। उन्होंने इस तथ्य को यह बता कर इस तरह की प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल दिया कि अब मेडिकल साइंसेज व्यक्तिगत मेडिसिन के स्तर पर चली गई है; जहां भारत में नैदानिक अनुसंधान की उन्नति के लिए ऐसे आधुनिक उपकरणों की आवश्यकता होती है।
प्रो सुनीत सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस कार्यक्रम को हमारे देश के दर्शन और मिशन के आधार पर शुरू किया गया है, जहां हमें अपने संबंधित क्षेत्रों में प्रशिक्षित और कुशल युवा पेशेवरों की आवश्यकता है। देश के विभिन्न हिस्सों के प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। प्रो सुनीत सिंह ने कहा कि वह इस कार्यक्रम को नियमित आधार पर विभिन्न विषयों पर आयोजित करने की योजना बना रहे है ताकि आणविक कौशल में इस देश की युवा पीढ़ी को प्रशिक्षित किया जा सके।

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