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जानिए आखिर क्या वजह थी? जिसके कारण उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने पदभार संभालने के 4 महीने बाद दिया इस्तीफा...
रावत कैबिनेट सहयोगियों के साथ लगभग 11 बजे राजभवन पहुंचे और राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिसमें संवैधानिक प्रावधान का हवाला देते हुए उन्हें छह महीने के भीतर विधानसभा के लिए चुने जाने की आवश्यकता थी, और इसकी संभावना नहीं थी। तीरथ सिंह ने संविधान के 164 (संविधान के अनुच्छेद 164) के साथ ही प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151 का हवाला दिया।
इस्तीफे की नहीं थी संवैधानिक बाध्यता, चुनाव आयोग का था अनिवार्य कर्तव्य
भले ही सियासी तौर पर इस्तीफे की वजह उपचुनाव नहीं होना बताया जा रहा हो मगर कानूनी व संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ यह कतई नहीं मानते कि उपचुनाव में कोई संवैधानिक संकट था। हाईकोर्ट के अधिवक्ता व विधि विशेषज्ञ डॉ कार्तिकेय हरिगुप्ता के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 164(4 )
तीरथ के इस्तीफे के बाद उत्तराखंड को नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है। शनिवार को देहरादून में बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। जहां बीजेपी विधायकों में से ही किसी एक को मुख्यमंत्री चुना जाएगा। राज्य में अगले साल फरवरी-मार्च महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में नए मुख्यमंत्री का कार्यकाल महज 7-8 महीने का रहेगा। के अनुसार "एक मंत्री जो लगातार छह महीने की अवधि के लिए राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा। इस छह महीने की सीमा के लिए, संविधान एक मंत्री और एक मुख्यमंत्री के बीच अंतर नहीं करता है। छह महीने में चुनाव की आवश्यकता मुख्यमंत्री पर समान रूप से लागू होती है।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 150, राज्य विधान सभा में एक आकस्मिक रिक्ति के मामले में, निर्वाचन आयोग पर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र को बुलाने के लिए एक अनिवार्य कर्तव्य रखता है। उपरोक्त अनिवार्य कर्तव्य के लिए, केवल सीमा धारा 151 (ए) के तहत है ,जिसे बाद में 1996 में संशोधन द्वारा जोड़ा गया था। इसमें आकस्मिक रिक्ति के मामले में चुनाव कराने के लिए एक समय सीमा प्रदान की गई है। यह एक सकारात्मक समय सीमा है जिसमें कहा गया है कि किसी भी रिक्ति को भरने के लिए उप-चुनाव रिक्ति होने की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर आयोजित किया जाएगा। यह समय सीमा उन मामलों में भी लागू नहीं होती है , जहां किसी रिक्ति के संबंध में सदस्य की शेष अवधि एक वर्ष से कम है।