- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तराखण्ड
- /
- उत्तराखंड: ग्लेशियर की...
उत्तराखंड: ग्लेशियर की तबाही में अबतक 32 की मौत, सुरंग में फंसे लोगों को निकालने के लिए अब ड्रोन का हो रहा इस्तेमाल
उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से हुई त्रासदी से सुरंग में फंसे लोगों को निकालने के लिए अब ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस हादसे में अबतक 32 शव बरामद हो चुके हैं. आटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियां पिछले तीन दिनों से टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं. इस त्रासदी के बाद 175 लोग लापता हैं.
तपोवन की टनल से जेसीबी की मशीनें लगातार मिट्टी निकालने का काम कर रही है. रेस्क्यू टीम को 180 मीटर तक मिट्टी हटानी है. राहतकर्मी अभी तक तपोवन टनल में 120 मीटर अंदर तक मलबा हटा चुके हैं. 60 मीटर और खुदाई का काम बचा है. इसके बाद ही मजदूरों के मिलने की उम्मीद है.
सुरंग के भीतर फंसे अपनों के बारे में खुशखबरी का इंतजार
बांध के पास छोटी बस्ती में कई परिवार को सुरंग के भीतर फंसे अपनों के बारे में खुशखबरी का इंतजार है. कांचुला गांव के दीपक नगवाल के बहनोई सतेश्वर सिंह सुरंग के भीतर मेकैनिक का काम करते थे. हिमखंड के टूटने के समय सतेश्वर सुरंग के भीतर ही थे. आपदा के बाद से उनका कोई पता नहीं चल पाया है.
दीपक के बहनोई के बड़े भाई और अन्य परिजन तपोवन के पास अपने रिश्तेदार के बारे में किसी अच्छी खबर सुनने के इंतजार में रूके हैं. जब भी कोई सुरक्षाकर्मी सामने आता है तो वे उनकी खोज-खबर लेते हैं. हालांकि, अब तक उन्हें सतेश्वर के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है. चमोली के किमाना गांव के तीन लोग भी सुरंग में फंसे हैं. गांव के 40 से ज्यादा लोग तपोवन में उनकी राह देख रहे हैं. किमाना गांव के दर्शन सिंह बिष्ट ने कहा कि उनके तीन रिश्तेदार-अरविंद सिंह, रामकिशन सिंह और रोहित सिंह सुरंग के भीतर फंसे हैं. सुरंग के भीतर फंसे कुछ और लोगों के परिवारों को अपनों के बारे में किसी सूचना का इंतजार है.
बढ़ती जा रही है सगे संबंधियों की बेचैनी
सुरंग के द्वार के पास खड़े डाक गांव के विजय सिंह बिष्ट ने कहा कि वह अपने भाई डी एस बिष्ट के बारे में जानना चाहते हैं और समय बीतने के साथ उनकी बेचैनी बढ़ती जा रही है. करचौन गांव के भवन सिंह फर्सवान (60) भी अपने गांव के एक व्यक्ति की तलाश में सुरंग के पास ही थे. उन्होंने कहा कि रैनी में परियोजना स्थल के तबाह होने के बाद से उनके परिवार के दो लोग लापता हैं.
दतुनू के अमर सिंह भी अपने गांव के कुछ लोगों की खैरियत के बारे में जानना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि आपदा के बाद से समूचा गांव सदमे में है. सिंह ने कहा, ''मेरे गांव के कुल 25 लोग एनटीपीसी परियोजना स्थल पर काम करते थे। आपदा के दिन उनमें से छह लोगों की छुट्टी थी, लेकिन बाकी लोग सुरंग के भीतर फंस गए.'' ऋषि गंगा परियोजना स्थल से 46 लोग लापता हु. वहां भी लापता लोगों के परिजन अपनों के बारे में किसी अच्छी खबर का इंतजार कर रहे हैं.