उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में फिर बदलेगा सीएम चेहरा, CM तीरथ सिंह रावत ने की इस्तीफे की पेशकश!

Arun Mishra
2 July 2021 2:14 PM GMT
उत्तराखंड में फिर बदलेगा सीएम चेहरा, CM तीरथ सिंह रावत ने की इस्तीफे की पेशकश!
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उत्तराखंड में एक बार फिर मुख्यमंत्री बदला जाएगा.

उत्तराखंड में एक बार फिर मुख्यमंत्री बदला जाएगा. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है. सूत्रों के अनुसार, उन्होंने इस संदर्भ में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने यह पेशकश की. इसके पीछे की वजह संवैधानिक संकट पैदा होना बताया गया है. राज्य सियासी हलचल के बीच रावत ने जेपी नड्डा से मुलाकात भी की थी.

तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे की अटकलें इसलिए लग रही हैं क्योंकि उनको अपने पद पर बने रहने के लिए 10 सितंबर तक विधानसभा चुनाव जीतना होगा, यह संवैधानिक बाध्यता है। रावत फिलहाल पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाए जाने के बाद उन्हें 10 मार्च को मुख्यमंत्री बनाया गया था।

तीरथ सिंह रावत ने पत्र में कहा है कि आर्टिकल 164-ए के हिसाब से उन्हें मुख्यमंत्री बनने के बाद छ महीने में विधानसभा का सदस्य बनना था, लेकिन आर्टिकल 151 कहता है कि अगर विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से कम का समय बचता है तो वहा पर उप-चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं. उतराखंड में संवैधानिक संकट न खड़ा हो, इसलिए मैं मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना चाहता हूं.

उत्तराखंड में अटकलें लगाई जा रही हैं कि रावत गढ़वाल क्षेत्र में स्थित गंगोत्री सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं। राज्य में विधानसभा की दो सीटें गंगोत्री और हल्द्वानी खाली हैं जहां उपचुनाव होना है। अगले साल फरवरी-मार्च में ही विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में उपचुनाव कराने का फैसला निर्वाचन आयोग पर ही निर्भर करता है।

उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को दिल्ली तलब किया गया था, जिसके बाद वे राष्ट्रीय राजधानी आए. उनके अलावा, दो बीजेपी के वरिष्ठ नेता सतपाल महाराज और धन सिंह रावत को भी दिल्ली बुलाया गया.

गौरतलब है कि तीरथ सिंह रावत को मार्च महीने में उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया था. उन्होंने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह ली थी. त्रिवेंद्र सिंह के खिलाफ बीजेपी में ही विरोध के स्वर उठ रहे थे, जिसके बाद नई दिल्ली में हुईं बैठकों में मुख्यमंत्री बदलने का फैसला लिया गया था.


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