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- उत्तरकाशी सुरंग में 6...
उत्तरकाशी सुरंग में 6 दिन से फंसे 40 मजदूर, 144 घंटे से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन...दो मशीनें खराब, अब ये नई चुनौती...
Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue Operation Latest Update: उत्तरकाशी में सिल्क्यारा टनल का एक हिस्सा ढहे 7 दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन अब तक अंदर फंसे 40 मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जा सका है। अलग-अलग राज्यों में रहने वाले मजदूरों के परिजन उत्तरकाशी पहुंच रहे हैं। कई परिजन तो टनल के पास ही रात गुजार रहे हैं।
उधर झारखंड सरकार ने मजदूरों को बाहर निकालने के लिए स्पेशल आईएएस अफसर भुवनेश प्रताप सिंह को तैनात किया है वे मजदूरों के बाहर आने के बाद उन्हें वापस ले जाने आए हैं। बता दें कि अंदर मौजूद 40 मजदूरों में से सबसे ज्यादा 15 लोग झारखंड से और उसके बाद 8 लोग यूपी के हैं। शुक्रवार को 40 में से 2 की तबीयत खराब हो गई इसमें से एक को अस्थमा और दूसरे को मधुमेह हैं। इन्हें फूड सप्लाई करने वाले पाईप से दवाई और अन्य खाने की सामग्री भेजी जा रही है।
उत्तरराखंड की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को अब तक बाहर नहीं निकाला जा सका है. मजदूरों को टनल में फंसे आज सातवां दिन है ,लेकिन अब तक वह टनल से बाहर नहीं निकल सके हैं. शुक्रवार को रेक्स्यू ऑपरेशन को बड़ा झटका तब लगा, जब अमेरिकी ऑगर मशीन बीच में ही खराब हो गई. मशीन की बेयरिंग खराब होने की वजह से वह आगे ही नहीं बढ़ सकी.
अमेरिकी ऑगर मशीन बार-बार ऊपर की तरफ उठ रही थी, जिसके बाद एंकर लगाकर मशीन को प्लेटफॉर्म पर लगाया गया. इससे रेस्क्यू ऑपरेशन को बड़ा झटका लगा है. करीब 25 मीटर की ड्रलिंग के बाद मशीन नीचे किसी मेटेलिक चीज़ से टकरा गई. इससे तेज आवाज आई. दोपहर 2:45 के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया. रेस्क्यू अधिकारियों ने एक्सपर्ट की मीटिंग बुलाई है.
चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है. ये हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ.
अब तक ड्रिलिंग के लिए 2 मशीनें खराब हो चुकी है। अब बचाव अभियान आज शनिवार को तीसरी मशीन के आने के बाद फिर शुरू किया जाएगा। 15 नवंबर को उत्तरकाशी पहुंची हैवी अमेरिकी ड्रिलिंग मशीन ऑगर्स के सामने पत्थर आने की वजह से मशीन खराब हो गई। डायरेक्टर्स की ओर से कहा गया कि धीरे-धीरे काम चल रहा है। अब आज बचाव अभियान को तीसरी मशीन का इंतजार है। वहीं टनल में फंसे मजदूरों से बात करने के लिए वाॅकी टाॅकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। कुछ मजदूरों के पास फोन थे जो कि डिस्चार्ज हो गए हैं। वहीं वाॅकी-टाॅकी से बात कर उन्हें हिम्मत बंधाई जा रही है कि जल्द ही उन्हें बचाया जा सके।