
Gen Z और पुलिस भिड़ंत, 5 की मौत, 72 घायल , मीडिया चुप क्यों है?
देश में युवा वर्ग और पुलिस के बीच हुई झड़प ने पूरे माहौल को हिला दिया है। इस झड़प में 5 लोगों की मौत हो गई और 72 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना ने न केवल सामाजिक और राजनीतिक सवाल खड़े किए हैं बल्कि मीडिया की भूमिका पर भी गहरे संदेह जताए जा रहे हैं।
क्या हुआ था?
बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में Gen Z यानी नई पीढ़ी के युवा एकत्र हुए थे। उनका कहना था कि वे बेरोज़गारी, शिक्षा और लोकतांत्रिक अधिकारों को लेकर अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे थे। इस दौरान पुलिस और युवाओं के बीच टकराव हो गया।
कई जगहों पर लाठीचार्ज हुआ
आंसू गैस के गोले छोड़े गए
दोनों ओर से हिंसा की ख़बरें आईं
5 की मौत और 72 घायल
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस झड़प में कम से कम 5 लोगों की जान चली गई और 72 से ज्यादा लोग घायल हो गए। घायलों में कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। अस्पतालों में अफरा-तफरी का माहौल है और घायलों के परिजन सरकार से जवाब मांग रहे हैं।
मीडिया चुप क्यों?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि जिस घटना ने पूरे देश को हिला दिया, उस पर मुख्यधारा का मीडिया चुप क्यों है?
क्या दबाव में खबरें दबाई जा रही हैं?
क्या राजनीतिक हितों की वजह से यह सच्चाई छिपाई जा रही है?
या फिर मीडिया अपनी विश्वसनीयता खो रहा है?
राजनीतिक सवाल
विपक्षी दलों ने सरकार और मीडिया दोनों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि:
सरकार जनता की आवाज़ दबा रही है
भाजपा असली मुद्दों से भाग रही है
मीडिया सरकार के दबाव में है
वहीं, भाजपा नेताओं का कहना है कि सरकार ने क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्रवाई की और विपक्ष सिर्फ माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है।
यह घटना सिर्फ एक झड़प नहीं बल्कि एक गंभीर लोकतांत्रिक सवाल है। युवा वर्ग की नाराज़गी, सरकार की नीतियाँ और मीडिया की चुप्पी—तीनों मिलकर लोकतंत्र की बुनियाद पर चोट करते दिख रहे हैं।
अब सवाल यह है कि—
👉 क्या सरकार असली मुद्दों पर जवाब देगी?
👉 क्या मीडिया अपनी भूमिका निभाएगा?
👉 और क्या Gen Z की आवाज़ सुनी जाएगी?