
पं जवाहर लाल नेहरु की पूण्यतिथि पर कांग्रेस नेता के सवाल पर क्यों भडके मोदी समर्थक समाजसेवी, देखिये जबर्दस्त वीडियो
पं जवाहर लाल नेहरू: पुण्य तिथि
● #भगत सिंह ने कहा था- क्रांति समझना है तो
नेहरू के पास जाओ
● #नेहरू ने भगत सिंह के अंतिम संस्कार स्थल
हुसैनीवाला को भारत में मिलाया
★ शहीदे आज़म सरदार भगत सिंह ने सन 1928 में "किरती" नाम के एक साप्ताहिक में आलेख लिखा था।
उसमें नेता जी सुभाष चन्द्र बोस और जवाहरलाल नेहरू के विचारों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया था। भगत सिंह नेहरू का भारत का भविष्य मानते थे। बोस के कई विचारों से उनकी असहमति थी।
इस लेख में भगत सिंह ने नेहरू और उनके विचार को बेहतर माना था।
उन्होंने लिखा था -
"क्रांति का सही अर्थ समझने के लिए पंजाबी युवाओं को उनके पास जाना चाहिए...युवाओं को अपनी सोच मजबूत करनी चाहिए ताकि हार और निराशा के इस माहौल में वे भटकें नहीं।"
★ नेहरू के मन में क्रांतिकारी भगत सिंह के प्रति गहरा लगाव था।
जब असेम्बली बम कांड में भगत सिंह ने कोर्ट में बयान दिया तो नेहरू ने जून 1929 में पार्टी के मुख पत्र 'कांग्रेस बुलेटिन' में उसे विस्तार से प्रकाशित किया।
बाद में जब भगत सिंह ने जेल में अनशन किया तब नेहरू ने खुद उनके पक्ष में लेख लिखा।
देश की आज़ादी के बाद भी जवाहरलाल नेहरू के मन में भगत सिंह की याद कसकती रही।
तब नेहरू ने क्या किया इसे जानने के लिए Krishnan Iyer की पोस्ट देखिये--
★ सवाल ये आता है कि नेहरुजी ने आजादी के बाद शहीद भगतसिंह को कैसे याद किया?
★ जवाब है : हुसैनीवाला..भारत पाकिस्तान सीमा पर एक छोटा सा गांव..।
● हुसैनीवाला एक राष्ट्रीय शहीद स्मारक है..यहाँ भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु का अंतिम संस्कार 23 मार्च 1931 को हुआ था..बटुकेश्वर दत्त, भगतसिंह के साथी, का भी अंतिम संस्कार यही हुआ..
★ भगतसिंह की माताजी श्रीमती विद्यावती जी का अंतिम संस्कार भी हुसैनीवाला में ही हुआ..
◆ भारत विभाजन के वक्त हुसैनीवाला पाकिस्तान में चला गया..नेहरुजी के दिल मे हुसैनीवाला को ले कर हरदम एक बेचैनी रहती थी..नेहरुजी हर कीमत पर हुसैनीवाला को भारत मे लाना चाहते थे..
● 17 जनवरी 1961 को आखिरकार नेहरुजी ने पाकिस्तान को 12 गांव दे कर हुसैनीवाला को भारत मे मिला लिया।
इस तरह पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने हुसैनीवाला को "भारत तीर्थ" बना दिया।