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राज्यपाल की सिफारिश के बावजूद क्यों घबरा रहा है केंद्र बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने से?
महेश झालानी
हालांकि राज्यपाल जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर चुके है, लेकिन आईबी तथा अन्य खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के बाद फिलहाल केंद्र सरकार खामोश है ।
आईबी की रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि यदि केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू किया तो प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है और बलवा होने की संभावनाओं से इनकार नही किया जा सकता है । इस रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार ममता को सबक सिखाने के लिए कोई नई योजना बनाने पर विचार कर रहा है ।
उधर बंनगल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को खुली चुनोती देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री में हिम्मत है तो वह प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए । शेरनी की तरह दहाड़ते हुए मुख्य सचिव अलापना बंधोपाध्याय को नोटिस जारी करने की कार्रवाई को कायराना हरकत बताया ।
ज्ञातव्य है कि केंद्र ने मुख्य सचिव अलापना बंधोपध्याय को केंद्र में तैनात कर दिया था । ममता ने अलापना को बजाय केंद्र में भेजने के उन्हें रिटायर कर अपना प्रमुख सलाहकार बनाकर केंद्र सरकार के गाल पर ऐसा तमाचा जड़ा जिसकी गूंज आज तक सुनाई दे रही है । केंद्र रिटायरमेंट के बाद अलापना को नोटिस जारी किया है ।
उधर ममता ने बंनगल सहित सभी कैडर के वरिष्ठ अधिकारियों से एकजुट होते हुए केंद्र द्वारा अलापना को जारी नोटिस का विरोध करने का आग्रह किया है । केंद्र में बंगाल अफसरों की बहुत ही स्ट्रांग लॉबी है । यदि ये एकजुट होगये तो केंद्र के सामने मुसीबत उतपन्न हो जाएगी । इसलिए केंद्र बंनगल में राज्यपाल की सिफारिश के बाद भी राष्ट्रपति शासन लागू करने से हिचकिचा रही है । उधर राज्यपाल जगदीप धनखड़ को बदलने की चर्चा भी जोरो से है ।