वर्षा गर्व है तुम पर। रोज़ सुन रहा हूँ कि बेटे तक कोरोना का शिकार अपने मां-पिता का अंतिम संस्कार नही कर रहे हैं।
ऐसे में तुम वाहन में शव लेकर श्मशान तक पहुंचा रही हो। ईश्वर हर घर में एक ऐसी बेटी दे।
जो मर्द कहते हैं कि बेटियों को श्मशान नही जाना चाहिए, डूब मरें।