डिंडौरी जिले के शहपुरा निवासी दयाराम साहू को कांच खाने का खतरनाक शौक है. इन्हें बचपन से ही कांच खाने का भयंकर जूनून सवार था जो अब भी बरकरार है. दयाराम बल्ब और शराब की बोतलों के टुकड़ों को आसानी से चबाकर निगल जाते हैं.
दयाराम के लिए कांच भोजन शौकिया है. जब हमने दयाराम से उनके अजीबोगरीब शौक के बारे में जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि बचपन से ही उनके दिमाग में कुछ अलग करने की चाह थी और इसी के चलते उन्होंने कांच खाना शुरू किया जो पहले उनका शौक फिर बाद में नशा बन गया. दयाराम की मानें तो पहले वो एक किलो तक कांच चबा जाते थे. हालांकि दांत कमजोर होने के कारण अब उन्होंने कांच खाना धीरे-धीरे बंद करने का निर्णय लिया है.
दयाराम साहू पेशे से वकील हैं. डिंडोरी जिले में नोटरी का काम भी देखते हैं. वो इलाके का जाना-पहचाना नाम हैं. लोग उनकी कांच खानी की आदत से बखूबी वाकिफ हैं. दयाराम बताते हैं उन्हे ये आदत करीब 14-15 वर्ष की उम्र से लगी. वो बताते हैं कि शुरू में एक-दो बार कांच खाया और फिर चस्का लग गया. बाद में तो ऐसा लगने लगा कि अगर आज कांच नहीं खाया तो कुछ छूट गया है.