मुजफ्फरनगर में मोहर्रम पर इमामबाड़ा में आशूरा मनाया गया

पहला जुलूस मिर्ज़ा जी के यहां से चहल शोदा तक गया वहां ताज़िया दफन किया गया ।

Update: 2023-07-30 05:56 GMT

मुजफ्फरनगर : आज मोहल्ला इमामबाड़ा में आशूरा मनाया गया। पहला जुलूस मिर्ज़ा जी के यहां से चहल शोदा तक गया वहां ताज़िया दफन किया गया । मातमी दस्ता मातम करता हुआ छोटे इमामबाड़ा तक आया। इसके बाद दूसरी मजलिस बड़े इमामबाड़ा पर सम्पन्न हुई जिसे मोलानां जाफर जोहरी द्वारा खिताब किया गया। मोलानां ने कहा कि मुहर्रम इस्लाम धर्म मानने वालो का एक ग़म का त्यौहार भी है जिसे मातम के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन इमाम हुसैन (अ. स.) ने सत्य, धर्म, न्याय, इंसानियत के लिए अपने प्राणों की कुर्बानी दे दी थी। मुहर्रम उन्हीं की याद में मनाया जाता हैं। आज के दौर में जब पूरे विश्व मे उथल पुथल मची हुई है तब इमाम हुसैन (अ. स.) की शिक्षा उतनी ही प्रासंगिक है।

हमारे पूर्व राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि" इमाम हुसैन (अ. स.) की कुर्बानी सिर्फ एक देश की विरासत नही बल्कि पूरी मानव जाति के लिए भाई चारे का संदेश है"। मोलानां ने कहा कि आज इमाम हुसैन (अ. स.) के छह महीनें के नन्हे अली असग़र (अ. स.) सहित उनके 72 साथियों को प्यासा शहीद कर दिया गया। इमाम हुसैन (अ. स. ) जो कि पैगम्बर मुहम्मद(स.अ.) के नवासे है । उनको यज़ीद इबने माविया ने शहीद करवा दिया । इमाम 3 दिन के भूखे प्यासे करबला के मैदान में शहीद कर दिए गए । उनकी शहादत को सुनकर शिया सोगवार फूट फूट कर रोये।


मोलानां ने कहा कि इमाम हुसैन (अ. स.) भारत आना चाहते थे । कहा जाता है की दत्त कबीले के एक मोहयाल ब्राह्मण ने कर्बला की लड़ाई (680 ई.पू.) में इमाम अल-हुसैन की ओर से लड़ाई लड़ी थी , विशेष रूप से कुफा के हमले में - इस प्रक्रिया में अपने सात बेटों का बलिदान दिया था।किंवदंती के अनुसार, राहब सिद्ध दत्त (कुछ संस्करणों में राहब सिद्ध या सिद्ध वियोग दत्त के रूप में भी उल्लेख किया गया है) कर्बला की लड़ाई के समय बगदाद के पास रहने वाले कैरियर-सैनिकों के एक छोटे समूह के नेता थे। 

किंवदंती में उस स्थान का उल्लेख है जहां वह दैर-अल-हिंदिया के रूप में रुके थे, जिसका अर्थ है "द इंडियन क्वार्टर", जो आज अस्तित्व में अल-हिंदिया से मेल खाता है। आज भी शिया समुदाय हुसैनी ब्राह्मणों का आभार व्यक्त करता है । बाद में जुलूस बड़े इमामबाड़े से शुरू होकर दरगाह आलिया पहुँचा। नौहखानी रियासत अली, आलम, काज़िम आदि ने की । अंजुमन आरफी ने एस डी एम सदर परमानंद झा के लिए लाखो दुआए की साथ ही, सी ओ फुगानां देवव्रत वाजपई , थानाध्यक्ष कर्मवीर सिंह , चौकी प्रभारी परमेन्द्र सिंह व जिला प्रसाशन का हृदय से आभार व्यक्त किया । इस मौके पर इंजीनियर आरिफ , सदर साबशराफत, मोहम्मद वारिस, ग़ज़नफर अब्बास उर्फ लल्ला रिज़वान , जावेद ,आदि उपस्थित रहे।

नौशाद राजपूत की रिपोर्ट 

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