Barauni Thermal Power Hindi News: बरौनी थर्मल पावर के कामगार झेल रहे आर्थिक और मानसिक पीड़ा!

Update: 2019-05-20 11:45 GMT

शिवानंद गिरी 

बरौनी थर्मल में कार्यरत कामगारों का तबादले के बाद पोस्टिंग होने से अब कामगारों में अफरातफ़री का माहौल हो गया है।अब कामगार नये जगह प्रभार ग्रहण करें या फिर बच्चों का नामांकन किसी स्कूल में कराए,रुम की तलाश करें या फिर बच्चों का इलाज कराए। कुच इसी तरह की समस्या से काफी तनाव से गुजर रहें है कामगार। समस्या बच्चों की पढाई की तो है ही,रहने के लिये आवास भी भयंकर समस्या उत्पन्न हो गई है।

दरअसल, कई कर्मियों का तबादला ऐसे इलाकों में किया गया है जहां न तो अच्छे स्कूल हैं और न ही रहने लायक उचित माहौल । परिवार के साथ कॉलोनी लाइफ व्यतीत करने वाले इन कामगारों के सामने सांप- छछूंदर की स्थिति उत्पन्न हो गई है ।स्थिति का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहले वह नौकरी करें या बच्चों का नामांकन के लिए दौड़-धूप या परिवार को रखने के लिए आवास की व्यवस्था करें। कामगारों का कहना है कि मई का महीना चल रहा है और ऐसे में ज्यादातर अच्छे विद्यालयों में नामांकन की प्रक्रिया लगभग समाप्त हो गई होती है। अब समस्या यह है कि बच्चों का नामांकन कराएं तो कहां कराएं और यदि बेगुसराय के विद्यालयों में रखते है तो कॉलोनी मे आवास रखते है तो एनटीपीसी प्रबंधन के रहमों करम पर रहना होगा क्योंकि अब यह कारखाना एनटीपीसी के हाथ हो चला गया है लेकिन ना तो एनटीपीसी प्रबंधन और ना ही बोर्ड प्रबंधन ने इस संबंध में कामगारों के समस्या का ख्याल कर्ण वाजिब समझा है।कामगारों का कहना है कि तबादला के एक निर्धारित अवधि के बाद डेरा छोड़ देना पड़ता है।


यदि कोई कामगार नहीं छोड़ता है तो बिहार राज्य विद्युत बोर्ड के द्वारा निर्धारित किराया के कई गुना अधिक किराया बतौर पैनल रेट से लिया जाता है और एक निर्धारित अवधि के बाद यह प्रक्रिया और भी महंगा पड़ने लगता है ।लेकिन अब तो समस्या यह है कि यह तो बिहार राज्य विद्युत बोर्ड का संस्थान रहा नहीं ऐसी स्थिति में एनटीपीसी प्रबंधन विद्युत बोर्ड के कामगारों को कॉलोनी में आवास रखने देता है कि नहीं यह उसकी मर्जी पर है और इसी ऊहापोह की स्थिति से कामगार परेशान है ।कामगारों का कहना है कि उनके हित के लिए कोई भी कदम बिहार राज्य विद्युत बोर्ड प्रबंधन द्वारा नहीं उठाया जा रहा ।कामगारों के साथ क्या समस्या है इसका ख्याल न तो स्थानीय बोर्ड प्रबंधन द्वारा किया जा रहा है और न ही एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा। मरता क्या नहीं करता , यही सोच कर भाग्य भरोसे अपने नए तबादले स्थल पर लोग नौकरी जॉइन कर रहे हैं और बरौनी थर्मल के आसपास के गांव में में डेरा खोजने को विवश है। गौरतलब है कि मार्च में ही इन कामगारों का तबादला कर दिया गया था लेकिन चुनाव के कारण पोस्टिंग में देरी हो रही थी।जिससे लोगों में तनाव व्याप्त था।.वहीं दूसरी ओर उनके बच्चों की पढ़ाई- लिखाई भी प्रभावित हो रही है।

 दरअसल ,बरौनी थर्मल को एनटीपीसी के हाथो दिए जाने के जाने के बाद   यहाँ के कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक का   तक का तबादला  बिहार पावर होल्डिंग कॉरपोरेशन  द्वारा ट्रांसमिशन  ,नॉर्थ बिहार साउथ बिहार पावर होल्डिंग आदि जगहों  के लिए  8 मार्च को ही कर दिया गया था  ,लेकिन बोर्ड मुख्यालय द्वारा  कुछ ही दिनों बाद  इन्हें अगले आदेश तक  यथावत अपने कार्यस्थल पर बने रहने को कहा गया  .लोगों का कहना है ऐसा निर्णय  चुनाव को लेकर किया गया  .लेकिन इसका असर उनके बच्चों और परिवार पर पड़ रहा है।

यूनियन के नेता बताते हैं कि बिजली बोर्ड प्रबंधन किसी भी आदमी का तबादले के कुछ माह बाद तक ही विभागीय आवास में नियत समय तक ही रह सकता है लेकिन अब तो यह कॉलोनी एनटीपीसी के हाथों चले जाने के बाद लोगों के सामने कॉलोनी में रहने की भी समस्या उत्पन्न हो गई है ।भारतीय मजदूर संघ के स्थानीय नेता निरंजन कुमार कहते हैं कि प्रबंधन के इस निर्णय से बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर असर पड़ेगा ही परिवार पर भी प्रतिकूल प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उनके अनुसार जिस तरह से कांटी थर्मल में एनटीपीसी व बिजली बोर्ड कर्मचारियों द्वारा कुछ वर्ष तक प्लांट को साझा चलाया गया उसी तरह बरौनी थर्मल में भी जारी रखना चाहिए। साथ ही यदि किसी  का तबादला कहीं किया गया तो उसका ख्यालही किया गया।बेगुसराई निवासी को दम दिखाने देगा 1 दिनों के है तो दिसंबर तक कर दिया गया होता तो वे अपने पदस्थापित जिले में बच्चों का नामांकन सही समय पर करा सकते थे।अन्य नेताओं का मानना है एनटीपीसी प्रबंधन बरौनी थर्मल कॉलोनी में एक निर्धारित दर लेकर यहां रहने के इक्छुक कामगारों को आवंटित करें तो बच्चों की पढ़ाई लिखाई में होने वाली परेशानी से मुक्ति मिल सकती है. यूनियन नेता कहते हैं यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो तनाव में कामगार ना सिर्फ काम करने को विवश होंगे बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा ।

पटना मे पदस्थापित एक कर्मचारी ने बताया कि उसे आवास,नामांकन आदि मे काफी परेसानी हो रही है।एक तो आर्थिक बोझ तो दूसरी और भीषण गर्मी से लोगों का बीमार होना ये सब मुसीबतों का पहाड़ टूट गया है।कम पैसा कमाने वाले कामगार परेशान है लेकिन ना तो यूनियन नेताओ को इसकी चिन्ता है और न ही वरीय अधिकारीयों को।

Tags:    

Similar News