सीतामढ़ी में 1992 के दंगे के समय जब तत्कालीन मुख्यमंत्री Lalu Prasad Yadav उतरे थे सडक पर

Update: 2021-06-13 03:52 GMT

बाबुल इनायत 

1992 के दशहरे में दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन को लेकर सीतामढ़ी में दो समुदायों के बीच झगड़ा हुआ। स्थानीय MLA शाहिद अहमद खान ने फोन करके लालू जी को सांप्रदायिक विवाद के बारे में बताया।

फोन आने के तुरंत बाद लालू यादव हेलीकॉप्टर से सीतामढ़ी के लिए रवाना हो गए। जब उनका हेलीकॉप्टर सीतामढ़ी के आसमान के ऊपर चक्कर खा रहा था, तभी उन्होंने देखा कि लोग दाव, फरसा और खेती के औजार लेकर बाहर निकल गए हैं और लूट व हिंसा में शामिल हैं।

राज्य सरकार के गेस्ट हाउस में जाने के बाद उन्होंने एक खुली जीप का इंतजाम कराया, जिसमें लाउडस्पीकर हो। उन्होंने पाँच और जीप की व्यवस्था करने को कहा, ताकि कांस्टेबल उनकी सुरक्षा में तैनात रहें। वो चलती जीप में खड़ा थे और मेगाफोन से घोषणा कर रहे थे कि कर्फ्यू लागू हो गया है।

यह सुनकर लोग जल्दी-जल्दी अपने घर की ओर भागे। उस जीप में खड़े-खड़े वो पूरी ताकत से चिल्ला रहे थे, अपने घर के अंदर जाइए। खुले में कोई भी दिख गया, तो पुलिस गोली मार देगी। वो रिगा, डुमरा, मेहसौल चौक, मुरलिया चौक, राम-जानकी मंदिर क्षेत्र तक गए, और पुलिस के जवानों से हवाई फायर करने के लिए कहा। गोलियों की आवाजों ने समाज-विरोधी तत्वों को घर के अंदर जाने पर मजबूर कर दिया। गेस्ट हाउस में लौटते हुए उन्होंने देखा कि गलियाँ सूनी हैं, लोग घर के अंदर हैं। इस तरह शांति लौट आई।

इसके बाद उन्होंने वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को दंगा प्रभावित इलाकों तक ले जाने के लिए कहा। उस हिंसा में पाँच लोगों की मौत हो गई थी, अनेक घरों में आग लगा दी गई थी, और संपत्ति लूट ली गई थी। वो गेस्ट हाउस में कई दिनों तक डेरा डाले रहे और राहत व पुनर्वास व्यवस्था का निरीक्षण करते रहे।

दरअसल प्रशासन ने प्रतिमा विसर्जन के जुलूस का रास्ता बदल दिया था,और उसी से दंगा भड़का। बाद में वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने दंगाग्रस्त सीतामढ़ी का दौरा किया और कहा,मैंने अनेक दंगाग्रस्त इलाकों का दौरा किया है। लेकिन बिहार सरकार जिस तरह स्थिति को नियंत्रण में ले आई और दंगा प्रभावित लोगों के लिए राहत व पुनर्वास की उसने व्यवस्था की स्थिति सामान्य होने के बाद लालू यादव सीतामढ़ी के कई गाँवों में अनेक बैठकों को संबोधित किये, हिंदुओं और मुसलमानों को साथ-साथ रहने के लिए कहा और शांति और भाईचारे के बीच अपना-अपना त्योहार मनाने के लिए कहा।

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