चाचा के सामने फिर होंगी भतीजी, क्या होगा लोकसभा चुनाव का परिणाम
लोकसभा चुनाव 2019;
पाटलीपुत्र लोकसभा क्षेत्र देश के कुल 543 और बिहार की 40 सीटों में एक है. यह सीट पटना जिले में पड़ती है. 2008 तक पटना में सिर्फ एक लोकसभा सीट हुआ करती थी लेकिन परिसीमन के बाद यहां दो सीटें हो गईं-एक पाटलीपुत्र (शहर के प्राचीन नाम पर आधारित) और दूसरी सीट पटना साहिब जहां से सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव जीतते रहे हैं. पाटलीपुत्र में तकरीबन साढ़े 16 लाख मतदाता हैं जिनमें 5 लाख यादव और साढ़े चार लाख भूमिहार हैं.
पाटलीपुत्र की विधानसभा सीटें
इस संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें हैं. दानापुर, मनेर, फुलवारी, मसौढ़ी, पालीगंज और बिक्रम. इनमें फुलवारी और मसौढ़ी एससी आरक्षित सीटें हैं. दानापुर में पिछले दो विधानसभा चुनाव 2010 और 2015 से बीजेपी की उम्मीदवार आशा देवी जीतती आ रही हैं, जबकि मनेर सीट पर आरजेडी के प्रत्याशी भाई विरेंद्र 2010 और 2015 में जीते. फुलवारी से जेडीयू के नेता श्याम रजक विधायक हैं जो कभी लालू यादव के खास हुआ करते थे. मसौढ़ी विधानसभा सीट पर फिलहाल आरजेडी का कब्जा है. यहां से रेखा देवी विधायक हैं. पालीगंज सीट भी आरजेडी के हिस्से में है और जयवर्धन यादव विधायक हैं. बिक्रम विधानसभा सीट कांग्रेस के पाले में है और सिद्धार्थ वहां से विधायक हैं. सीटों का गणित देखें तो यह पूरा इलाका आरजेडी का गढ़ है लेकिन लोकसभा में पिछली बार बीजेपी नेता रामकृपाल यादव जीत कर आए जो कभी आरजेडी के बड़े नेता हुआ करते थे.
2009 और 2014 का संसदीय चुनाव
इस सीट पर 2009 में जदयू के रंजन प्रसाद यादव जीते जबकि 2014 में बीजेपी के राम कृपाल यादव विजयी रहे. रामकृपाल यादव ने आरजेडी छोड़कर बीजेपी का दामन थामा और बड़ी जीत दर्ज की. रामकृपाल यादव को 3,83,262 वोट मिले थे जो कुल वोट का 39.16 प्रतिशत था. उन्होंने आरजेडी प्रत्याशी और लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती को हराया जिन्हें 3,42,940 (35.04 प्रतिशत) वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर जेडीयू के रंजन प्रसाद यादव रहे जिन्हें 97,228 वोट मिले. सीपीआईएमएल प्रत्याशी रामेश्वर प्रसाद को 51,623 वोट मिले थे.
साल 2009 का मुकाबला दिलचस्प था क्योंकि जेडीयू के रंजन प्रसाद यादव ने लालू यादव को हराया था. रंजन प्रसाद को 2,69,298 (42.86 प्रतिशत) मिले थे जबकि लालू यादव को 2,45,757 (39.12 प्रतिशत) वोट मिले.
मीसा भारती फिर लड़ सकती हैं चुनाव
पिछली बार की तरह इस बार भी मीसा भारती इस सीट से किस्मत आजमा सकती हैं. मीसा फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं और बिहार में कभी एमबीबीएएस की टॉपर छात्र रही हैं. उन्हें हराने वाले बीजेपी के राम कृपाल यादव केंद्र में ग्रामीण विकास मंत्रालय में जूनियर मंत्री हैं. रामकृपाल यादव ने पिछले चुनाव में टिकट न मिलने पर आरजेडी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था और मीसा भारती को चुनाव में हराया था.
रामकृपाल यादव का ब्योरा
रामकृपाल यादव 1985-86 में नगर निगम पटना में उपमहापौर रहे. 1992-93 में बिहार विधानसभा में सदस्य रहे. 1993 में दसवीं लोकसभा के लिए निवार्चित हुए. 1996 में ग्यारवीं लोकसभा के लिए चुने गए. उसी साल बिहार धार्मिक न्यास के चेयरमैन बनाए गए. साल 2004 में चौदहवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति के सदस्य और संसद भवन परिसर में सुरक्षा संबंधी स्थायी समिति के सदस्य बनाए गए. 5 अगस्त 2007 को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस संबंधी स्थयायी समिति के सदस्य बने. 1 मई 2008 को सरकारी उपक्रम संबंधी समिति के सदस्य चुने गए. 2010 से 16 मई 2014 तक राज्यसभा सदस्य रहे. 9 नवंबर 2014 से केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता राज्यमंत्री हैं.
रामकृपाल यादव की संसदीय गतिविधि
रामकृपाल यादव की संसद में हाजिरी 91 प्रतिशत है. उन्होंने 19 डिबेट में हिस्सा लिया है और 1 सवाल पूछे हैं. उनके खाते में प्राइवेट मेंबर बिल की संख्या शून्य है. उन्होंने मानव संसाधन मंत्रालय से केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अनियमितता को लेकर सवाल पूछा था. यह सवाल 13 अगस्त 2014 का है. इसके बाद वे राज्यमंत्री बना दिए गए थे.
सांसद निधि का खर्च
सांसद निधि के तौर पर पाटलीपुत्र निर्वाचन क्षेत्र के लिए 25 करोड़ रुपया निर्धारित है. सरकार ने साढ़े 12 करोड़ रुपए जारी किए. ब्याज सहित सांसद रामकृपाल यादव को 15.55 करोड़ रुपए मिले. 22.30 करोड़ रुपए जारी करने की सिफारिश की गई. 27.36 करोड़ रुपए पारित हुए जिनमें 15.14 करोड़ रुपए खर्च हुए. कुल राशि का 119.11 प्रतिशत खर्च हुआ और 0.41 प्रतिशत राशि बची रह गई.