मुख्यमंत्री के सामने दी गई पूर्व मुख्यमंत्री को सलामी, गार्ड ऑफ ऑनर देते वक्त पुलिस की फजीहत नहीं चली कोई बंदूक!

Update: 2019-08-22 04:29 GMT

सुपौल: बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.जगन्नाथ मिश्रा की अंत्येष्टि से पहले गार्ड ऑफ ऑनर देने में पुलिस की 21 राइफलों से एक भी बुलेट नहीं छूटी। 21 पुलिस जवानों को 10-10 राउंड फायर करने थे। यानी, कुल 210 बुलेट छोड़ी जानी थीं।

पहले तो लगातार राइफल का ट्रिगर दबाते जवान अकबकाए, फिर बुलेट को नहीं छूटते देख वहां मौजूद सभी लोग हक्के-बक्के रह गए। पुलिस की भारी किरकिरी हुई। अब जब किसी नेता को सलामी के प्रीप्लान के दौरान इनके असलहे जबाब दे गये तो किसी दुर्घटना के समय क्या सुरक्षा दे पायेंगे यह सवाल सबसे बड़ा खड़ा होता है।

अंतिम संस्कार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी भी मौजूद थे। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मुख्यमंत्री ने पुष्पचक्र अर्पित किया। इसके ठीक बाद शोक धुन बजी और पहले से कतार में खड़े पुलिस के 21 सशस्त्र जवान सलामी देने लगे।

लेकिन बार-बार ट्रिगर दबाने पर भी बुलेट नहीं छूटी। पहले सबने अपनी-अपनी राइफल देखी, कई बार चेक की, फिर सब एक-दूसरे को देखने लगे। अंतत: इसी रस्म काे गार्ड ऑफ ऑनर मानकर डॉ. मिश्रा की अंत्येष्टि की गई। अंतिम संस्कार पैतृक गांव बलुआ बाजार में राजकीय सम्मान के साथ हुआ। लंबे समय से बीमार चल रहे मिश्रा का सोमवार को दिल्ली में निधन हो गया था। 

बलुआ में हुआ अंतिम संस्‍कार

बलुआ में डॉ जगन्‍नाथ मिश्र का अंतिम संस्‍कार राजकीय सम्‍मान के साथ किया गया। इस मौके पर मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार व उपमुख्‍यमंत्री सुशील कुमार मोदी खुद मौजूद थे। वहीं गार्ड ऑफ ऑनर के लिए 22 पुलिसकर्मियों को लगाया गया था। लेकिन उस समय बिहार पुलिस की स्थिति हास्‍यास्‍पद हो गयी, जब एक भी बंदूक से गोली नहीं चली। सभी बंदूकें एक साथ धोखा दे दीं। 

दोषी पर होगी कार्रवाई

हालांकि कोसी रेंज के डीआइजी सुरेश चौधरी ने बाद में कहा कि इस मामले की जांच सुपौल के हेडक्वार्टर डीएसपी को दी गई है। गार्ड ऑफ ऑनर ब्लैंक कार्टेज से दी जाती है, जो फायर नहीं हुआ। यह रेगुलर कॉर्टेज नहीं होता है। जो भी हो, मामले की जांच में जो दोषी पाए जाएंगे, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

क्‍या होता है ब्लैंक कार्टेज 

गार्ड ऑफ ऑनर देने या गोली का डेमो करने के लिए ब्लैैंक कार्टेज का उपयोग होता है। विशेष तरह की इस गोली में छर्रा नहीं होता है। सिर्फ बारूद भरी होती है, जिससे आवाज निकलती है। इसकी सप्लाई पुलिस विभाग में अलग से की जाती है। जानकार बताते हैैं कि काफी दिनों से पुलिस को ब्लैैंक कार्टेज की सप्लाई नहीं की गई है। पुरानी सप्लाई को ही सुरक्षित रखकर उसका उपयोग किया जा रहा है।

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