.......आखिर क्यों सुषमा स्वराज का नाम सुन फफक पड़ता है सिवान -गोपालगंज का यह परिवार

उन्होंने कहा कि सुषमा स्वराज के निधन से उनके दिल को गहरा ठेस पहुंचा है। सुषमा जी हमारे तथा परिवार के सदस्यों के दिल में सदा अमर रहेंगीं।

Update: 2019-08-11 04:24 GMT

शिवानंद/सुरेश कुमार

पटना /सीवान : सिवान में एक परिवार ऐसा भी है जो पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का नाम सुनते ही रोने लगता है।जी है !हम बात कर हैं सीवान के सिसवन प्रखंड के चैनपुर निवासी शाहजहां हुसैन के परिवार की।

दरअसल सुषमा के प्रयास से सऊदी अरब के जेल में बंद 41 भारतीयों को 2014 में  घर वापसी हुई थी जिसमें सिवान जिले के सिसवां प्रखंड के चैनपुर निवासी शाहजहां हुसैन के पुत्र अतिउल्लाह सहित आधा दर्जन लोग शामिल थे. उनका कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने बिजली करेंट से एक सहकर्मी की हुई मौत पर मुआवजे के  लिए आंदोलन किया था. 

 अपने बेटे की रिहाई पर सुषमा स्वराज को याद करते  हुए निवासी शाहजहां हुसैन की आंखें डबडबा जाती है। वो कहते है कि आखिर उनका कर्ज हुम् और हमारे गांव के लीग अब कैसे चुकाएंगे!

परिजनों के  मुताबिक सऊदी अरब के मक्का शहर स्थित नेशमा एंड पार्टनर कंपनी में भारत के करीब एक हजार  से अधिक मजदूर काम करते थे. उसी दौरान वर्ष 2013 के रमजान महीने में कंपनी  के अंदर इलेक्ट्रिक शॉर्ट लगने से गोरेयाकोठी  प्रखंड के हारुन मुश्ताक की मौत हो  गयी. कंपनी में तैनात  गार्डों ने साक्ष्य को छुपाने के लिए मृत  मजदूर के शरीर से कंपनी के यूनिफॉर्म (वर्दी) को उतार कर काले पॉलीथिन  में शव को डाल रहे थे, जिसका भारतीय  सुरक्षा गार्ड ने विरोध कर दिया. इससे सऊदी और भारतीय गार्डों के बीच जमकर झड़प हो गयी. यह देख सैकड़ों भारतीय मजदूर तुरंत इकट्ठा हो गये और मृत मजदूर को सामान के साथ भारत वापस भेजने और  मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन पर उतर गये. इसमें विदेश मंत्रालय के प्रभारी मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने 20 दिनों के अंदर 41  भारतीयों को छुड़ा लिया था़।

इसी तरह पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन की जानकारी मिलते ही मांझा प्रखंड के धर्मपरसा गांव निवासी नागेंद्र भारती फफक कर रो पड़े। उन्हें वह दिन याद आ गया जब तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहल पर उनके पुत्र का शव सऊदी अरब के रियाद से गांव लाया जा सका।




 धर्मपरसा गांव निवासी नागेंद्र भारती के पुत्र 34 वर्षीय मनोज भारती सउदी अरब के रियाद शहर स्थित एक कंपनी में काम करते थे। इस दौरान छह माह पूर्व रियाद में मनोज भारती की मौत हो गई। अपने पुत्र की मौत के बाद नागेंद्र भारती ने शव को गांव भेजने के लिए कंपनी से संपर्क किया। लेकिन युवक का शव भेजने के एवज मे कंपनी के अधिकारी एक करोड़ 20 लाख रुपये की मांग करने लगे। परेशान नागेंद्र भारती ने जिलाधिकारी से अपने पुत्र का शव मंगाने के लिए मदद की गुहार लगाई। लेकिन जिला प्रशासन के प्रयास के बाद भी युवक का शव कंपनी ने नहीं भेजा।

तब परिजनों ने तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से संपर्क कर युवक के शव को विदेश से मंगवाने के लिए गुहार लगाई। सुषमा स्वराज की पहल पर कंपनी ने मनोज भारती का शव बिना रुपया लिए अपने खर्च पर धर्मपरसा गांव भेज दिया। बुधवार की रात पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन की खबर मिलते ही नागेंद्र भारती फफक कर रो पड़े। उन्होंने कहा कि अगर सुषमा स्वराज जी ने पहल नहीं की होती तो वे अपने बेटे का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाते। उनकी पहल पर ही उनके बेटे का शव रियाद से गांव भेजा गया। उन्होंने कहा कि सुषमा स्वराज के निधन से उनके दिल को गहरा ठेस पहुंचा है। सुषमा जी हमारे तथा परिवार के सदस्यों के दिल में सदा अमर रहेंगीं।

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