जनता अर्थव्यवस्था में शेर की छलांग देखना चाह रही थी, लेकिन शेर कुछ ज्यादा ही पीछे हट गया, GDP में बड़ी गिरावट!
गिरीश मालवीय
देश के सेंट्रल स्टैलटिसटिक्स ऑफिस (CSO) ने 2019-20 की अप्रैल-जून की तिमाही के लिए देश की आर्थिक वृद्धि के आंकड़े जारी किए हैं। पहली तिमाही में GDP ग्रोथ घटकर 5 फीसद के स्तर पर आ गई है. पिछली 5 तिमाही में जीडीपी की विकास दर लगातार गिर रही है। आज अप्रैल-जून (2019) की तिमाही में इसे 5% आंका गया है जबकि जनवरी-मार्च (2019) में यह 5.8% थी अक्टूबर-दिसंबर (2018) में 6.6% में जीडीपी ग्रोथ रेट दर्ज की गयी जुलाई-सितंबर (2018) की तिमाही में यह 7% थी और अप्रैल-जून (2018) में 8% पर थी यानी 1 साल की अवधि में जीडीपी की वृध्दि दर 3% तक गिर गयी है.
लोग अर्थव्यवस्था में शेर की छलांग देखना चाह रहे थे पर शेर कुछ ज्यादा ही पीछे हट गया है.
सीएसओ द्वारा वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के दौरान जीडीपी (GDP) ग्रोथ रेट कम होकर पांच फीसदी के स्तर पर आने से सबसे बड़ा झटका रोजगार को लगने जा रहा है नए आए आंकड़ों के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ही सबसे बड़ी गिरावट आई है. पहली तिमाही के दौरान, मैन्युफैक्चरिंग की ग्रोथ रेट पिछले वर्ष की इस अवधि की 12 फीसद ग्रोथ रेट की तुलना में महज 0.6 फीसद रह गई है/
दरसअल मैन्युफैक्चरिंग ही ऐसा सेक्टर है, जहां अकुशल और आंशिक रूप से प्रशिक्षित लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर निकलते हैं। ऐसे में इस सेक्टर की ग्रोथ के गिरने का मतलब है कि निर्माण इकाइयों में काम करने वाले लोगों की जॉब खतरे में आ गयी है मालिक कभी भी उनकी छटनी कर सकता है/
लगभग हर सेक्टर की ग्रोथ रेट की हालत खराब दिखाई दे रही है एग्रीकल्चर और फिशिंग सेक्टर पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 5.1 फीसदी की तुलना में 2 फीसदी रह गया है अगर कंस्ट्रक्शन सेक्टर की बात करें तो यहां 5.7 फीसदी रह गया है जो पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 9.6 फीसदी की तुलना में 3 फीसदी से अधिक गिरावट है.फाइनेंशियल, रियल एस्टेट और प्रफेशनल सर्विसेज पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 6.5 फीसदी की तुलना में 5.9 फीसदी की दर से आगे बढ़ा है/
यानी देश की अर्थव्यवस्था पर अब मंदी का खतरा स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है .