IIT मद्रास में छात्रों से बोले PM मोदी, - 'आप चाहे जहां भी हों, भारत माता को नहीं भूलिएगा'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आईआईटी-मद्रास के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए..

Update: 2019-09-30 08:23 GMT

चेन्नई : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को आईआईटी-मद्रास के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। उन्होंने आईआईटी कैम्पस में चल रहे भारत-सिंगापुर हैकेथॉन के विजेताओं को भी सम्मानित किया। उन्होंने छात्रों से कहा कि मैंने अमेरिका में इन्वेस्टर्स और टेक्नोलॉजी के बड़े लोगों से बात की तो सबने कहा कि वे भारतीयों पर भरोसा करते हैं। भारतीय समुदाय ने साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में पूरी दुनिया में नाम कमाया है। आप ब्रांड इंडिया को मजबूत बना रहे हैं, कहीं भी रहना, लेकिन भारत माता की जरूरतों को मत भूलना।

प्रधानमंत्री ने कहा, ''मुझे आपकी आंखों में भारत का भविष्य नजर आ रहा है। जब यहां से बाहर निकलेंगे तो कई मौके आपका इंतजार कर रहे होंगे। अपने कौशल का इस्तेमाल करें। याद रखिए आप चाहे जहां भी हों, भारत माता को नहीं भूलिएगा। आपकी रिसर्च भारत के लोगों को कई फायदे पहुंचा सकती है। आपकी मेहनत असंभव को संभव बना देती है।''

मोदी ने कहा, ''तमिलनाडु दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक तमिल का घर है। यह दुनिया में सबसे नई भाषा आईआईटी मद्रास लिंगो का जन्मदाता है। यहां से जाने के बाद आप बहुत कुछ मिस करेंगे। आप सारंग और शास्त्र को मिस करेंगे। आप अपने दोस्तों को मिस करेंगे।''

मोदी ने कहा कि कई बीमारियां जो अभी घातक नहीं है आने वाले समय में परेशानी खड़ी करेंगी। इनमें हाईपर टेंशन, टाइप-2 डायबिटीज सबसे ज्यादा होगी। जब आपकी टेक्नोलॉजी डेटा साइंस के साथ जुड़ेगी, तब इन समस्याओं का हल निकलेगा। मैं आपसे फिट इंडिया मूवमेंट में भागीदार बनने का आग्रह करता हूं। हमने देखा है कि दो तरह के लोग होते हैं। जो जीते हैं और जो खुलकर जीते हैं। यह आप पर है कि आप सिर्फ जीना चाहते हैं या खुलकर जीना चाहते हैं। स्वामी विवेकानंद ने कहा था- बस वही जीते हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं।

प्रधानमंत्री ने बताया कि उन्होंने हैकेथॉन में एक ऐसा कैमरा देखा जो यह पता लगाता है कि किसका ध्यान कहां है। उन्होंने कहा कि मैं संसद में स्पीकर से इस तकनीक के विषय में बात करना चाहूंगा। मुझे लगता है कि यह संसद के लिए काफी उपयोगी साबित होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे हैकेथॉन आसियान देशों के बीच भी होने चाहिए। ताकि वंचित देशों की समस्याओं का हल भी खोजा जा सके। मैं 36 घंटे से समस्याओं का हल खोजने में जुटे छात्रों की ऊर्जा को सलाम करता हूं।

Tags:    

Similar News