सरकार बदलती है भ्रष्ट्राचार नही बदलता, माफिया वही होते है पार्टी बदल जाती है!

Update: 2020-08-30 06:18 GMT

अक्सर कहा जाता है कि सरकार बदलने से भ्रष्ट्राचार मे कमी आते है और लोगों को खुशहाल जिंदगी जीने को मिलते है। लेकिन ये सब बाते खोखले ही है। भ्रष्ट्राचार भारत के मूल मे बस चुका है। सरकारे आती रहे जाती रहे लेकिन भ्रष्ट्राचार अपने स्वरुप मे थोड़ा बहुत बदलाव के साथ जस की तस बनी रहती है। भ्रष्ट्राचार की जड़ राजनीति जरूर है लेकिन लोकतंत्र के चारों स्तंभ थोड़ा बहुत कम या ज्यादा भ्रष्ट्राचार के साथ कंध से कंधा मिलाकर काम करता दिखायी देता है। लोकतंत्र के चार कंधा जल्द से लोकतंत्र को शमशान पहुँचाने मे लगा है। यही लोकतंत्र की महानता भी है। सब मिलकर गरीबों को लूटों। विशाल इंडिया अखबार जो अपने सामाजिक दायित्व को समझते हुए बार-बार प्रकाशित किया है लेकिन भ्रष्ट्राचार की बहरी और अंधी व्यवस्था न सुनना चाहती है और नही समझना चाहती है। देश और प्रदेश की ऐसी हालत की पत्रकारिता भी दास बन बैठी हो तो अंदाजा स्वयं भी लगाया जा सकता है।

देश मे हर रोज एक नयी पार्टी और कई नये समाजवसेवी संस्थान जन्म लेता है उसका नाम करन किया जाता है। जवान होने तक ईमानदारी के रट्टा मारता है और फिर बेईमानी के उसी पथ पर निकल पड़ता है। आखिर रक्त किसका है ? उसने समाज से सीखा क्या है? समाज क्या चाहता है ? समाज मे भलाई करने वालों कों क्या मिला है ? करप्शन कम करने पर लाखो लाखो की चंदा सरकार देती है और उस चंदे से सरकार की चुनाव प्रचार किये जाते है। चार बच्चों को इकट्ठा करके और उसको बिस्किट और नेपकीन पकड़ा कर ऐसे दिखाते है जैसे देश आज ही बदल देंगे।

हाथ मे तिरंगा लेकर भारत माता की कसम खाने वाले एक दिन स्वयं भी भ्रष्ट्र हो जायेंगे ऐसा तो अन्ना हजारे ने सोचा भी नही होगा। लोकपाल की दुहाई देकर सत्ता की कुर्सी तक पहुँचने के बीच मे कितने झुठ और मक्कारी छुपी रही होगी। कहाँ गये 165 पेज की वो सबूत जिसके बल पर राजनीतिक पार्टी को चोर कहा गया था। अब वही चोर अच्छे लगने लगे है। भोले भाले गरीबों को बहकाने के लिए पता नही कौन-कौन सी आर्मी बनती रहती है।

सरकार कोई भी हो भ्रष्ट्राचार अपने चरम सीमा पर ही बनी रहती है। चाहे देश हो या प्रदेश हिस्सा सभी को मिलता है बजाय गरीब और मजदूर के। उनके पैसे से ही उनके वोट खरीदने की धंधा अब खुलेआम हो चुका है। आप नोएडा को ही ले लिजिए। पिछली तीन सरकारों मे हुई भ्रष्ट्राचार से मुक्ति पाने के लिए जनता ने योगी सरकार को चुना। लेकिन 3 साल गुजर जाने के बाद भी 30 हजार करोड़ की घोटाला सामने लाने मे सरकार अभी तक सक्षम नही हो पायी है। अब यह सियासी दाव है या राजनीतिक मजबूरी यह तो पार्टी और प्रदेश के सरकार ही जाने । कारवाई के नाम पर दो चार कर्मचारी और अधिकारी को संस्पेंड कर दिया जाता है जिसका मामले से कोई ज्यादा लेना देना भी नही होता है।

ग्रेटर नोएडा वेस्ट मे औद्योगिक जमीन को आवासीय बनाकर एक बड़ी घोटाला किया गया। जिसके लिए माननीय न्यायालय ने भी संज्ञान मे लिया था जिस पर जाँच होनी थी लेकिन 2011 से 2020 समाप्ति की तरफ है कोई प्रगति नही है। पिछली सरकार के प्रवक्ता ने ही नोएडा स्टेडियम को लेकर उससे पहले की सरकार पर बड़े घोटाले की आरोप लगाया था लेकिन आज दोनो पार्टी एक हो चुकी है इसी को कहते है गठबंधन। कल तक तो वो चोर , घोटालाबाज माफिया और आज गठबंधन।

नोएडा ग्रेटर नोएडा मे 3 लाख से अधिक होम बायर्स अपने खून पसीने की कमाई को ईएमआई मे लूटाकर धर की आश लगाये बैठे है की शायद योगी सरकार उनका अपने घर का सपना पूरा करे। लेकिन जिस प्रकार से टालमटोल किया जा रहा है उससे तो यही लगता है कि सरकार की इच्छा मुद्दा को बनाये रखने की है। अगर मुद्दा ही खत्म हो जाये तो वोट कैसा। उसके अलावा 2.5 लाख गरीबो के लिए मकान बनाने की शहरी औद्योगिक विकास योजना जो कि एक सपना की तरह ही है कि गरीबों को कब मकान मिलेगा।

भूमि अधिग्रहण से लेकर वेंडिंग जोन तक माफिया की राज है। पुलिस को यही नही पता की कारवाई किस पर करना है और किस पर नही। लाॅक डाउन मे रातों दिन वेंडिंग जोन मे रेस्टोरेट खोला जाता है वह भी थाना से सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर लेकिन यह बात पुलिस को नही पता। जबकि इसी लाॅक डाउन ने कितने गरीब और मासूम को पुलिस के हाथ से बेईज्जती होने का मौका दिया है। सड़क पर चलते हुए परे लठ क्या वो जिंदगी भर भूल पायेगा।

नोएडा सेक्टर 18 मे प्राधिकरण की टीम स्वच्छ भारत अभियान चलाने जाती है कुछ ठेली को उठा लेती और कुछ को छोड़ देती है। नाॅन वेंडिंग जोन मे मजे से रेहड़ी पटरी चलाये जाते है और वेंडिंग जोन वालों को पार्किंग मे शिफ्ट कर दिया जाता है। प्राधिकरण नाॅन वेंडिंग जोन से दो बार ठेली पटरी उठाती है और फिर शाम को बाजार वही पर सजी मिलती है। यह सब किसके शह पर हो रहे है । संभव है कि इसमे पुलिस और प्राधिकरण के लोग शामिल हो लेकिन यह बिना किसी राजनीतिक दबाव के नही हो रहा है।

आजकल नोएडा मे राशन मे धांधली भी सामने आने लगी है। हालाॅकि इस मामले को पहले भी कई बार उठाया गया था लेकिन अब तूल पकड़ लिया है। प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा घोषित योजना जिसमे प्रत्येक परिवार को एक किलों चना दिया जाना है और प्रत्येक युनिट पर 5 किलो अनाज। लेकिन ताजा मामाल नोएडा सेक्टर 45 की ही जहाँ पर चना नही देने का मामला सामने आने के बाद लोगो ने राशन डीलर को बर्खास्त करने की मांग की है।

नोएडा के गाँवों मे लगातार हो रहे अवैध कंस्ट्रक्सन भी एक बड़ा मुद्दा है। प्राधिकरण के अधिकारी पहले नींद से सोती रहती है और बाद मे जगती है तो पहुँच के हिसाब से काम करती है। ऐसा ही एक मामला नोएडा सेक्टर 99 की है जहाँ पर नोटिस देने के बाद कई मकान पर कारवाई हुई है और कुछ मामले मे प्राधिकरण चुप है। जरूर ही किसी राजनीतिक पहुँच मे ऐसा कर रही है। वही नोएडा सेक्टर 81 मे प्राधिकरण मकान बन जाने के बाद तोड़ने के लिए पहुँचती है जबकि माफिया ने भोले- भाले लोगों के हाथ जमीन को बेचकर उसका रजिस्ट्री भी करवा चुकी है। दूसरी बात जब मकान बन रहा होता है तो प्राधिकरण चुप रहती है और बन जाने के बाद गरीबों के आशियाना को उजाड़ने पहुँच जाती है। लेकिन उस भू-माफिया पर कारवाई नही करती है।

नोएडा मे वेंडिंग जोन एक बड़ी समस्या है और धीरे-धीरे गहराता ही जा रहा है। 700 करोड़ की गोल्फ कोर्स वाली इस शहर मे गरीबों की जरूरत है या नही यह तो ऊंचे पद पर बैठे लोग ही जाने लेकिन मै तो इतना जानात हु कि सब्जी उनको भी चाहिए। वेंडिग जोन और वेंडिंग माफिया आजकल नोएडा मे वर्चस्व मे है। एक तरफ प्राधिकरण के ओएसडी के नकली हस्ताक्षर से वेंडिंग लाईसेसं दे दिया जाता है तो दूसरी तरफ एक वेंडिंग जोन मे एक ही आदमी के जानकार को 12 वेंडिंग जोन अलाट कर दिया जाता है। प्राधिकरण के आफिसर को शिकायत भी होते है लेकिन कोई कारवाई नही। प्राधिकरण के आफिसर मौके पर सर्वे भी करते है और उनमे से कोई दुकान पर नही मिलता है जिसके नाम से दुकान अलाट किया गया है। प्राधिकरण फिर भी कारवाई नही करती है , मर्जी प्राधिकरण की लेकिन इस मे मिलीभगत है जिसका आरोप रेहड़ी पटरी एसोसिएशन के द्वारा लगाये जाते रहे है।

किसी के घर मे आग लग जाये तो पुलिस फौरन एफआईआर कर लेती है कारवाई के लिए पहुँच जाती है लेकिन प्राधिकरण के इंडस्ट्रीय एकाउण्ट सेक्शन मे आग लगी पुलिस आज तक खामोश है। कही कोई आत्म हत्या कर ले पुलिस बड़ी एक्टिव हो जाती है लेकिन नोएडा के सोरखा गाँव मे एक गुरूकुल मे 14 साल की लड़की आत्म हत्या कर लेती या ह्त्या कर दिये जाते है। बिना पुलिस के संपर्क किये ही बाॅडी को जला दिया गया। परिजन के 15 दिनों तक दर-दर भटकने के बाद पुलिस ने एफआईआर तो कर लिया लेकिन कोई कारवाई नही हुयी है। सपना के गरीब माँ बाप प्रदेश सरकार और पुलिस से गुहार लगाकर थक चुकी है। आखिर आत्म हत्या करने की पीछे कारण क्या था पुलिस इतनी तो जाँच कर ही सकती है।

विशाल इंडिया अखबार जो अपने सामाजिक दायित्व को समझते हुए बार-बार प्रकाशित किया है लेकिन भ्रष्ट्राचार की बहरी और अंधी व्यवस्था न सुनना चाहती है और नही समझना चाहती है। शहर के वरिष्ठ नागरिक व अधिवक्ता श्री अनिल के गर्ग (RIGHT INITTIATIVE FOR SOCIAL EMPOWERMENT) लगातार मुद्दे को उठाती रही है। जिस मे शाहबेरी प्रकरण से लेकर गरीबों के लिए मकान जो कि शहरी औद्योगिक विकास अधिनियम 1976 के अधीन अनिवार्य है। प्रधानमंत्री के 2022 तक सबको घर देने की वादा जिसमे 2020 तो गुजरने वाली है अभी तक सरकार ने भूमि तक नही आवंटन किया है। जो भूमि बिल्डर को आवंटन किया गया वो पहले ही उस पर बहुमंजिला बनाकर बेच चुका है।

लेखक रमन कुमार राष्ट्र प्रेम क संपादक है 

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