सुप्रीमकोर्ट में नागरिकता संसोधन कानून पर सुनवाई आज, बचेगी जनता की लाज या फिर मिलेगी सरकार सम्राटी कोड़ा चलाने की खुली छूट

यह जमीनी सच है। अब सरकार को तय करना है कि विश्वास भंग की स्थिति मे ं सुधार करना है या सम्राटी कोड़ा चलाना है ?

Update: 2020-01-22 04:05 GMT

वीरेन्द्र सिंह सेंगर 

आज सुप्रीम कोर्ट की नयी अग्नि परीक्षा का दिन है।उसे बहु विवादित नागरिकता संशोधन कानून की संवैधानिकता के.सवाल पर सुनवाई करनी है । याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी है कि इसमें संविधान की मूल आत्मा से छेडख़ानी की गयी है। माननीय अदालत को फैसला करना है। इस मुद्दे को लेकर सौ से ज्यादा शहरों में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं।

सरकार और नागरिकों के बीच टकराव है।आठ राज्यों की गैर भाजपा सरकारों ने खुलेआम विरोध के नगाड़े बजा दिए हैं।इस के बावजूद सरकार का रूख आंदोलन को कुचलने का है।यह मामला अब सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिष्ठा से भी जुड़ गया है। बहुतों को आशंका है कि शायद ही न्यायालय सरकार के दबाव के बाहर जाए ?  मैं ऐसा नहीं मानता माननीय जज भी इसी समाज के हैं। वे विरोध की व्यापकता को देख रहे हैं । सो वे दो टूक फैसला ही देंगे। भले कुछ वक्त और लगे।

पहले ही इस अदालत की साख पर सवाल हैं। ऐसे मे ं अदालत इस मामले में सरकार को झटका देने से भी नहीं हिचकेगी? यह भी कि विरोध की व्यापकता को भांपकर सरकार भी चाह सकती है कि अदालत के फैसले से उसका राजनीतिक संकट टल जाए? ऐसा हुआ तो सब जीत जांएगे। मुझे तो मामला इसी ओर जाता लग रहा है। ऐसा कुछ हुआ तो मोदी सरकार को फौरी राहत तय है। हां यदि सरकार ने अपनी बुलडोजरी शैली नहीं बदली तो और बड़े नागरिक आंदोलन को आमंत्रित कर सकती है।

गेंद सरकार के पाले मे ं है कि वो सचमुच सेवक के रोल में रहना चाहती है?या दबंग बनकर अपने एजेण्डा लादना चाहती । इतिहास तो यही है जो सत्ता अपनी ही जनता से टकराने की भूल करती है ।धूल उसके इंतजार मे ं रहती है।तमम विवादों के बावजूद आम लोगों मे ं पीएम मोदी की लोकप्रियता अभी बरकरार है। यह जमीनी सच है। अब सरकार को तय करना है कि विश्वास भंग की स्थिति मे ं सुधार करना है या सम्राटी कोड़ा चलाना है ?

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