दुष्यंत चौटाला ने चाबी से खोला ताला, बताया किसे देंगे समर्थन?

Update: 2019-10-25 12:26 GMT

हरियाणा में अपने पहले ही विधानसभा चुनाव में दस सीटें जीतने वाली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने संकेत दिए हैं कि वह सरकार बनाने के लिए किसी भी दल के समर्थन को तैयार है, बशर्ते वो उनके न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर सहमत हों.

जेजेपी प्रमुख 31 वर्षीय दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जो भी दल रोज़गार, बुजुर्गों की पेंशन में बढ़ोतरी समेत उनके दूसरे विषयों पर सहमत होगा, जेजेपी उनके साथ मिलकर प्रदेश में सरकार बनाने का प्रयास करेगी. उन्होंने कहा कि हम संबंधित पक्षों से बात करेंगे और अगले कुछ घंटों या दिनों में सकारात्मक जवाब मिल जाएगा.

गुरुवार को सामने आए नतीजों में किसी दल को बहुमत नहीं मिला है. 90 सीटों में से भाजपा को 40, कांग्रेस को 31, जेजेपी को 10 और निर्दलीय उम्मीदवारों को सात सीटों पर जीत मिली है. इसके अलावा आईएनएलडी और हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के पास एक-एक सीट है. दुष्यंत चौटाला ने ये भी कहा कि वो बाहर से किसी को समर्थन नहीं देंगे. अगर समर्थन देंगे तो सरकार में शामिल होंगे वरना विपक्ष में बैठेंगे.

विधायक दल का नेता

शुक्रवार दोपहर दिल्ली की तिहाड़ जेल में अपने पिता अजय चौटाला से मुलाक़ात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में दुष्यंत चौटाला ने कहा, "हम हरियाणा को आगे ले जाने, युवाओं को अधिकार दिलाने और अपराध को नियंत्रित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं."

जेजेपी विधायक दल की बैठक में दुष्यंत चौटाला को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दुष्यंत से पूछा गया कि गुरुवार तक प्रदेश में सत्ता की चाबी उनके पास थी, लेकिन अब कई निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को समर्थन दे दिया है. इस पर दुष्यंत ने कहा कि चाबी अब भी उनके पास है और बीजेपी किसके साथ जाना चाहती है, ये उसका संगठन तय करेगा, लेकिन उन्होंने अपनी बात रख दी है.

सरकार गठन की कोशिशों में जुटी बीजेपी

उधर बहुमत से महज़ छह सीट दूर बीजेपी सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी हुई है. वो गैर-बीजेपी विधायकों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रही है. चुनाव नतीजे आने के ठीक बाद कहा जा रहा था कि जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला किंगमेकर बनकर उभर सकते हैं. लेकिन गुरुवार देर रात तस्वीर उस वक्त बदल गई जब हरियाणा लोकहित पार्टी के नेता और सिरसा से विधायक गोपाल कांडा ने बीजेपी को समर्थन देने की बात कह दी.

गोलाप कांडा ने दावा किया है कि सभी निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को समर्थन दे दिया है. उन्होंने कहा, "मेरे पिता 1926 से आरएसएस से जुड़े थे. उन्होंने आज़ादी के बाद देश के पहले आम चुनाव में जनसंघ की टिकट पर चुनाव लड़ा था."

कई निर्दलीय विधायकों ने दिया समर्थन

निर्दलीय विधायकों में से कई बीजेपी के बाग़ी हैं. उनमें से कई ने मीडिया से बातचीत में बीजेपी को समर्थन ज़ाहिर किया है. दादरी से जीते निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मैंने अपना समर्थन दे दिया है." वहीं रानिया से जीते निर्दलीय विधायक और देवीलाल के पुत्र रणजीत सिंह ने कहा, "मैंने खुले तौर पर बोला है कि मैं भारतीय जनता पार्टी को अपना समर्थन देता हूं."

बीजेपी से बागी होकर पृथला से निर्दलीय मैदान में उतरे नयनपाल रावत ने भी कहा है कि वो फिर बीजेपी का समर्थन करेंगे. उन्होंने बताया कि इस संबंध में उनकी बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाक़ात हुई है.

नयनपाल रावत ने सरकार में मंत्री पद दिए जाने की इच्छा भी जताई. उन्होंने कहा. "मुख्यमंत्री और पार्टी नेतृत्व के पास किसी को मंत्री बनाने का अधिकार होता है. सभी की महत्वाकांक्षाएं होती हैं, मेरी भी हैं. मैं चाहता हूं कि मुझे कहीं जगह दी जाए, ताकि मैं अपने इलाके के लोगों के लिए अच्छे से विकास कर सकूं." एक और निर्दलीय विधायक रणधीर गोलान ने कहा, "बीजेपी मेरी मां है. मैं 30 साल तक बीजेपी का कार्यकर्ता था. मैं बीजेपी में था, मैं कहां जाऊंगा?"

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