जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद अमेरिका का पहला बयान!

America's first statement after Article 370 in Jammu Kashmir Hindi News

Update: 2019-08-06 02:36 GMT

भारत सरकार के कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म कर देने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर देने के फैसले पर दुनिया के ज्यादातर देश अभी तक शांत रहे. लेकिन अमेरिका की ओर से इस मुद्दे पर पहला विदेशी बयान आ चुका है. अमेरिका ने भारत के इस कदम पर नजर बनाए रखने की बात कही है. लेकिन खास बात यह है कि अमेरिका की ओर से दिए गए अपने बयान में वह पाकिस्तान का जिक्र तक करने से बचा है.

अमेरिका ने सोमवार को कहा कि वह भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है. साथ ही उसने सभी पक्षों से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील की.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने की शांति और स्थिरता बनाए रखे की अपील

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना पीटीआई-भाषा से कहा,''हम नियंत्रण रेखा पर सभी पक्षों से शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील करते हैं.''

जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त किए जाने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा,''हम जम्मू कश्मीर की घटनाओं पर करीब से नजर रख रहे हैं. हमने जम्मू कश्मीर के संवैधानिक दर्जे में तब्दीली की भारत की घोषणा और राज्य को दो केन्द्रशासित प्रदेशों में बांटने की योजना को संज्ञान में लिया है.''

अमेरिका को बता दिया गया है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला

उन्होंने कहा कि भारत ने जम्मू कश्मीर में कार्रवाई को ''पूरी तरह से आंतरिक मामला'' बताया है. हालांकि उन्होंने जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन पर चिंता जताई.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने कहा,'' हम हिरासत (जम्मू कश्मीर में) की खबरों पर चिंतित हैं और लोगों के अधिकारों के सम्मान तथा प्रभावित समुदायों से चर्चा की अपील करते हैं.''

बता दें कि इससे पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के अमेरिकी दौरे के दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थ की भूमिका निभाने की गुजारिश की थी और ट्रंप ने इसके बाद कहा था कि पीएम मोदी ने भी उनसे ऐसी मंशा जाहिर की है. लेकिन न सिर्फ भारत ने ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश ठुकरा दी थी बल्कि पीएम मोदी के लिए किए उनके दावे को भी झूठा बताया था.

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