भारत ने अमेरिका को दिया दो टूक जबाब, नहीं करेंगे तुम्हारे लिए ये काम!

Update: 2019-06-26 02:35 GMT

भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि हम रूस के साथ अपने संबंधों को खत्म नहीं कर सकते हैं. साथ ही कहा है कि रूस के साथ S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीद के सौदे से पीछे नहीं हटा जा सकता है. राजनयिक सूत्रों के मुताबिक, भारत इस सौदे के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट की सभी शर्तों को पूरा करता है. इस मसले पर ट्रंप प्रशासन भी नरम रुख दिखा चुका है. बता दें कि अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो मंगलवार रात भारत पहुंच चुके हैं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर और माइक पोम्पियो की आज यानी बुधवार को होने वाली मुलाकात में इस मुद्दे पर भी चर्चा हो सकती है. पोम्पियो जयशंकर के अलावा पीएम नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे.

रूस के साथ पुराने संबंधों को खत्म नहीं कर सकता भारत

रूस के साथ रक्षा सौदे को लेकर नई दिल्ली के रुख से साफ है कि बुधवार को जब भारतीय विदेश मंत्री अपने अमेरिकी समकक्ष से मिलेंगे तो भारत का जोर अमेरिका से छूट हासिल करने पर होगा. सूत्रों के मुताबिक, इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ निजी और सार्वजनिक स्तर पर चर्चा हुई है. वॉशिंगटन के लिए यह थोड़ी चिंता की बात है. एक राजनयिक सूत्र ने कहा, 'रूस के साथ भारत के पुराने रक्षा संबंध हैं, जिन्हें खत्म नहीं किया जा सकता.'

भारत ने अमेरिका को बता दी हैं सौदे की अपनी जरूरतें

भारत ने रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए अक्टूबर, 2018 में 40,000 करोड़ रुपये का करार किया था. बता दें कि भारत ने रूस के साथ रक्षा संबंध रखने पर अमेरिका की प्रतिबंधों की चेतावनियों को नजरअंदाज करते हुए इस समझौते को आगे बढ़ाया था. सूत्रों ने बताया कि अमेरिका उन परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ है, जिनके कारण भारत S-400 जैसी प्रणाली खरीदना चाहता है. भारत ने अमेरिका को इस बारे में विस्तार से बता दिया है. सूत्रों का मानना है कि भारत अमेरिका के प्रतिबंध कानून (CAATSA) से छूट पाने की सभी जरूरतों को पूरा करता है.

CAATSA के तहत छूट की शर्तें पूरी करता है भारत

राजनयिक सूत्र ने कहा कि हम छूट के लिए बातचीत जारी रखेंगे. कानून में स्पष्ट है कि किन परिस्थितियों में अमेरिकी प्रशासन छूट दे सकता है. इसलिए अगर कानून (CAATSA) के नजरिये से देखा जाए तो हम सभी शर्तों को पूरा करते हैं. ट्रंप प्रशासन के पास काफी संभावनाएं हैं. वह हमें छूट दे सकता है. सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अमेरिका-भारत संबंधों को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी सरकार को कानूनी व राजनीतिक रुख का मिलान करना होगा. बता दें कि भारत सरकार ने पहले ही कह दिया है कि अगले साल अक्टूबर से उसे रूस से मिसाइल सिस्टम मिलने लगेंगे और पूरी आपूर्ति अप्रैल 2023 तक हो जाएगी.

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