'स्नो ब्लड' : खून जैसा हो गया बर्फ का रंग, वैज्ञानिकों ने बताई ये वजह

वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा एक खास तरह के शैवाल के कारण होता है लेकिन इसके लगातार बढ़ते जाने की वजह जलवायु परिवर्तन हो सकता है

Update: 2022-06-22 10:51 GMT

फ्रांसीसी आल्प्स के कुछ इलाकों में बर्फ का रंग खून जैसा लाल हो गया है. वैज्ञानिकों ने इसे 'स्नो ब्लड' नाम दिया है. देखिए, किसका 'खून' मिला है आल्प्स की बर्फ में. वैज्ञानिक इस प्रक्रिया को 'स्नो ब्लड' कहते हैं जब बर्फ का रंग लाल होने लगता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हर गर्मी यह लाल रंग गाढ़ा होता जा रहा है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा एक खास तरह के शैवाल के कारण होता है लेकिन इसके लगातार बढ़ते जाने की वजह जलवायु परिवर्तन हो सकता है क्योंकि इससे बर्फ का पिघलना तेज हो रहा है. ग्रेनोबल साइंटिफिक रिसर्च नेशनल सेंटर के वैज्ञानिकों ने ला ब्रेवेंट पहाड़ी से शैवाल के नमूने जमा किए हैं ताकि और गहराई से उसका अध्ययन किया जा सके. वह कहते हैं कि शैवाल यूं तो हरा होता है लेकिन तेज सौर किरणें पड़ने पर लाल हो जाता है.

वैज्ञानिकों में इस शैवाल के असर को समझने की बेचैनी बढ़ गई है क्योंकि जिस तेजी से बर्फ पिघल रही है, उन्हें डर है कि कहीं देर ना हो जाए. कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण इस शैवाल की मात्रा बढ़ती जा रही है. वे कहते हैं कि इस इलाके को ज्यादा खोजा नहीं गया है और हमारी आंखों के सामने यह पिघलता जा रहा है. इस शैवाल का सबसे पहले अरस्तु ने तीसरी सदी में जिक्र किया था. लेकिन 2019 में पहली बार औपचारिक रूप से इसे पहचाना गया और इसे 'सैनगिना निवालोएड्स' नाम दिया गया.

वैज्ञानिक समझाते हैं कि शैवाल के कारण बर्फ की सूर्य की किरणों को परावर्तित करने की क्षमता कम हो जाती है और उसके पिघलने की गति बढ़ जाती है.


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