अमेरिकी उपराष्ट्रपति के अनुसार विश्व में शांति का सबसे बड़ा कारण है अमेरिकी परमाणु शस्त्रागार

Update: 2017-10-30 09:00 GMT

70 साल पहले अमेरिका ने जापान के दो नगरों हीरोशीमा और नाकासाकी पर परमाणु बम मारा था जिसमें तीन लाख से अधिक लोग मारे गये थे। अमेरिका के उप राष्ट्रपति माइक पेन्स ने इस देश के परमाणु शस्त्रागार को विश्व में शांति का कारण बताया है।

माइक पेन्स ने ट्वीट किया कि दुनिया की कोई भी ताकत उस तरह से शांति का कारण नहीं है जिस तरह से अमेरिका का परमाणु शस्त्रागार। उनका यह बयान एसी स्थिति में सामने आ रहा है जब मात्र अमेरिका ने परमाणु हथियारों का प्रयोग किया है।

70 साल पहले अमेरिका ने जापान के दो नगरों हीरोशीमा और नाकासाकी पर परमाणु बम मारा था जिसमें तीन लाख से अधिक लोग मारे गये थे। इससे पहले जो भी युद्ध हुए थे उनमें किसी में भी इतनी बड़ी संख्या में नरसंहार नहीं हुआ था। हीरोशीमा और नाकासाकी पर परमाणु बम्बारी के बाद नये युग का आरंभ हुआ जिसमें मनुष्य को पहली बार ज़मीन से पूरी तरह मिट जाने के खतरे का सामना हुआ।

जापान पर अमेरिका के परमाणु हमले के चार साल बाद पूर्व सोवियत संघ ने पहली बार परमाणु हथियारों का परीक्षण किया जिससे विश्व में परमाणु हथियारों की होड़ आरंभ हो गयी। यह होड़ इतने आगे बढ़ गयी कि वर्ष 1962 में अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ परमाणु युद्ध के मुहाने तक पहुंच गये। उस समय अगर रूस ने परमाणु प्रक्षेपास्त्रों से लैस अपने जलपोतों को क्यूबा के पास से लौटने का आदेश न दिया होता तो यह संभव था कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जान एफ कैनेडी ने परमाणु युद्ध का आदेश दे दिया होता।

अगर एसा हो जाता तो युद्ध के आरंभिक समय में ही कम से कम 40 करोड़ लोग मारे जाते। बहरहाल इस समय अमेरिका ने इतनी संख्या में परमाणु हथियारों को संचित कर रखा है जिससे दुनिया को कई बार तबाह किया जा सकता है और परमाणु हथियारों की आड़ में अमेरिका ने अपने और अपने यूरोपीय घटकों के लिए जो शांति उत्पन्न कर रखी है उसका परिणाम दुनिया के अन्य क्षेत्रों में युद्ध व रक्तपात के अलावा कुछ और नहीं है। 

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