जम्मू कश्मीर के शोपियां में ड्राइवरों पर चरमपंथी समूह ने किया हमला, राजस्थान के ड्राइवर समेत दो की मौत

Update: 2019-10-24 16:16 GMT

भारत प्रशासित कश्मीर के शोपियां में हुए एक संदिग्ध चरमपंथी हमले में दो ट्रक ड्राइवरों की मौत हो गई है. श्रीनगर में मौजूद बीबीसी संवाददाता रियाज़ मसरूर के मुताबिक़ ये ट्रक ड्राइवर सेब लादने आए थे. बीते दो सप्ताह में ये इस तरह का तीसरा हमला है. अभी तक किसी चरमपंथी समूह ने इस हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली है. पुलिस के मुताबिक़ राजस्थान, पंजाब और हरियाणा से आए तीन ट्रकों पर शोपियां ज़िले के चित्रा गांव में सेब लादे जा रहे थे.

इस दौरान संदिग्ध चरमपंथियों ने गोलीबारी की. 

पुलिस के मुताबिक़ मारे गए दो ड्राइवरों में से एक की पहचान राजस्थान के अलवर के रहने वाले इलियास ख़ान के रूप में हुई है जबकि दूसरे मृत ड्राइवर के पास से कोई पहचान पत्र बरामद नहीं हुआ है. पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले जीवन सिंह नाम के एक अन्य ड्राइवर इस हमले में घायल हुए हैं. जीवन सिंह को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

शोपियां के ही शीरमाल इलाक़े में अक्तूबर में ही पहले हमला हुआ था. इस हमले में राजस्थान के अलवर के ही रहने वाले शरीफ़ ख़ान नाम के ड्राइवर की मौत हो गई थी. बीते दो सप्ताह के भीतर ही पंजाब से आए दो सेब कारोबारियों पर भी हमला हुआ था. इनमें से चरणजीत सिंह नाम के व्यापारी की मौत हो गई थी जबकि संजीव कुमार नाम के व्यापारी घायल हो गए थे.

जम्मू-कश्मीर का विशेष संवैधानिक दर्जा समाप्त किए जाने और भारत प्रशासित कश्मीर में सख़्त पाबंदियां लगाए जाने के बाद से ही चरमपंथियों ने व्यापारिक गतिविधियों का बहिष्कार किया हुआ है. चरमपंथियों ने सेब का कारोबार करने वालों पर हमले भी किए हैं जिसका कश्मीर की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम सेब व्यापार पर व्यापक असर हुआ है. कश्मीर में सेब और अन्य फलों और सूखे मेवों का सालाना आठ हज़ार करोड़ रुपए का कारोबार होता है. यहां के क़रीब सात लाख परिवार इस व्यापार से जुड़े हैं.

लेकिन सुरक्षा कारणों से सेब व्यापार ठप्प पड़ा है और कारोबारियों और किसानों को बड़ा घाटा उठाना पड़ रहा है. कश्मीर में सक्रिय किसी भी चरमपंथी समूह ने सेब कारोबार से जुड़े हमलों की ज़िम्मेदारी नहीं ली है लेकिन पुलिस का कहना है कि इनके पीछे चरमपंथी ही हैं. वहीं भारत सरकार बार बार दावा करती रही है कि कश्मीर में सुरक्षा हालात बेहतर हो रहे हैं. हालांकि इस तरह के हमलें इन दावों पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं.

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